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मॉब लिंचिंग की घटनाओं से राजस्थान शर्मसार, नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दें सीएम गहलोत - डॉ. सतीश पूनिया
जयपुर । अलवर जिले के बड़ौदा मेव थाना क्षेत्र में योगेश जाटव की पीट-पीटकर हत्या मामले पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने राजसमंद में भाजपा जिला कार्यालय में प्रेस वार्ता में मीडिया से बातचीत में कहा कि, इस घटना से राजस्थान एक बार फिर शर्मसार हुआ है। अलवर जिले में योगेश जाटव की जिस तरीके से पीट-पीटकर हत्या की गई, यह प्रदेश की कानून व्यवस्था का ध्वस्त होने का प्रमाण है। प्रदेश में दलित, आदिवासी एवं बहन-बेटियां कोई भी सुरक्षित नहीं है।
यह पूरा घटनाक्रम कांग्रेस आलाकमान, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के आचरण पर सवाल खड़ा करता है। यह पहली घटना नहीं बल्कि राजस्थान में इस प्रकार की पिछले दिनों कई घटनाएं हुई हैं, इसके बावजूद भी सरकार कुछ नहीं कर पा रही है।
झालावाड़ में कृष्णा वाल्मीकि की हत्या हो या फिर अलवर में मॉब लिंचिंग की घटना में योगेश जाटव से जुड़ा मामला हो, पिछले दिनों डूंगरपुर जिले के बिछीवाड़ा थाना अंतर्गत हथियारबंद बदमाशों ने आरएसी जवान रमेश की पीट-पीटकर हत्या, अलवर के भिवाड़ी में हरीश जाटव की पीट-पीटकर हत्या, इस हर प्रकार की घटनाओं से प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल साबित हो चुकी है।
राज्य सरकार से मेरी मांग है कि, योगेश जाटव के परिजनों की जो मांगें हैं उन पर विचार कर जल्द पूरा किया जाये, हत्यारों की जल्द गिरफ्तारी हो और कड़ी सजा दी जाये।
मॉब लिंचिंग की इन घटनाओं पर राजस्थान की जनता पूछ रही है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी क्या इन पीड़ित परिवारों के आंसू पहुंचने यहां आएंगे? क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गहरी निंद्रा से बाहर आकर कानून व्यवस्था को पटरी पर ला पाएंगे? अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो नैतिकता के आधार पर अशोक गहलोत को इस्तीफा देना चाहिये।
एक तरफ तो अशोक गहलोत सरकार मॉब लिंचिंग पर कानून लाती है, अशोक गहलोत के उस समय के भाषण देखेंगे तो उन्होंने मॉब लिंचिंग कानून की पैरवी की थी, लेकिन कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क है, जो प्रदेश में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं से साबित हो रहा है।
कांग्रेस राजस्थान से लेकर देशभर में लंबे समय से तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है, उसी का परिणाम है कि कांग्रेस के शासन में राजस्थान में दलितों को सबसे ज्यादा प्रताड़ित होना पड़ रहा है।
राजस्थान के गृहमंत्री अशोक गहलोत, जो मुख्यमंत्री भी हैं, जिनका योगेश जाटव मॉब लिंचिंग मामले पर ना कोई बयान आया और कोई ट्वीट।
हैरान करने वाली बात है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अचानक, अनायास से प्रकट होते हैं, कभी हाथरस में प्रकट होते हैं तो कभी कहीं प्रकट होते हैं, सियासी तांडव से इस तरीके का दृश्य पैदा करते हैं कि जैसे अशोक गहलोत के शासन में राजस्थान में राम राज्य की स्थापना हो गई, जबकि हकीकत यह है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था के बुरे हालात देखकर यह लगता है कि जनता और कानून व्यवस्था भगवान भरोसे है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ज्यादातर हॉलीडे पर रहते हैं, कभी शिमला तो कभी कहीं दिखते हैं, पार्ट टाइम पॉलिटिक्स कर तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं।
राजस्थान का मेवात क्षेत्र और टोंक जिले के मालपुरा में बहुसंख्यक हिन्दू आबादी पर आए दिन हमले होने के मामले सामने आ रहे हैं, इन क्षेत्रों में हिंदू आबादी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रही है। मेवात क्षेत्र राजस्थान की कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
यह पूरा घटनाक्रम कांग्रेस आलाकमान, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी के आचरण पर सवाल खड़ा करता है। यह पहली घटना नहीं बल्कि राजस्थान में इस प्रकार की पिछले दिनों कई घटनाएं हुई हैं, इसके बावजूद भी सरकार कुछ नहीं कर पा रही है।
झालावाड़ में कृष्णा वाल्मीकि की हत्या हो या फिर अलवर में मॉब लिंचिंग की घटना में योगेश जाटव से जुड़ा मामला हो, पिछले दिनों डूंगरपुर जिले के बिछीवाड़ा थाना अंतर्गत हथियारबंद बदमाशों ने आरएसी जवान रमेश की पीट-पीटकर हत्या, अलवर के भिवाड़ी में हरीश जाटव की पीट-पीटकर हत्या, इस हर प्रकार की घटनाओं से प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह से फेल साबित हो चुकी है।
राज्य सरकार से मेरी मांग है कि, योगेश जाटव के परिजनों की जो मांगें हैं उन पर विचार कर जल्द पूरा किया जाये, हत्यारों की जल्द गिरफ्तारी हो और कड़ी सजा दी जाये।
मॉब लिंचिंग की इन घटनाओं पर राजस्थान की जनता पूछ रही है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी क्या इन पीड़ित परिवारों के आंसू पहुंचने यहां आएंगे? क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गहरी निंद्रा से बाहर आकर कानून व्यवस्था को पटरी पर ला पाएंगे? अगर ऐसा नहीं कर पाते हैं तो नैतिकता के आधार पर अशोक गहलोत को इस्तीफा देना चाहिये।
एक तरफ तो अशोक गहलोत सरकार मॉब लिंचिंग पर कानून लाती है, अशोक गहलोत के उस समय के भाषण देखेंगे तो उन्होंने मॉब लिंचिंग कानून की पैरवी की थी, लेकिन कांग्रेस की कथनी और करनी में फर्क है, जो प्रदेश में हो रही मॉब लिंचिंग की घटनाओं से साबित हो रहा है।
कांग्रेस राजस्थान से लेकर देशभर में लंबे समय से तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है, उसी का परिणाम है कि कांग्रेस के शासन में राजस्थान में दलितों को सबसे ज्यादा प्रताड़ित होना पड़ रहा है।
राजस्थान के गृहमंत्री अशोक गहलोत, जो मुख्यमंत्री भी हैं, जिनका योगेश जाटव मॉब लिंचिंग मामले पर ना कोई बयान आया और कोई ट्वीट।
हैरान करने वाली बात है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अचानक, अनायास से प्रकट होते हैं, कभी हाथरस में प्रकट होते हैं तो कभी कहीं प्रकट होते हैं, सियासी तांडव से इस तरीके का दृश्य पैदा करते हैं कि जैसे अशोक गहलोत के शासन में राजस्थान में राम राज्य की स्थापना हो गई, जबकि हकीकत यह है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था के बुरे हालात देखकर यह लगता है कि जनता और कानून व्यवस्था भगवान भरोसे है।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ज्यादातर हॉलीडे पर रहते हैं, कभी शिमला तो कभी कहीं दिखते हैं, पार्ट टाइम पॉलिटिक्स कर तुष्टिकरण की राजनीति करते हैं।
राजस्थान का मेवात क्षेत्र और टोंक जिले के मालपुरा में बहुसंख्यक हिन्दू आबादी पर आए दिन हमले होने के मामले सामने आ रहे हैं, इन क्षेत्रों में हिंदू आबादी अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रही है। मेवात क्षेत्र राजस्थान की कानून व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।
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