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किसान को दी रकम की जानकारी दें या ई.डी. जांच के लिए तैयार रहे: सुखजिन्दर
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पैसों का प्रयोग से
अपने राजनैतिक हित लेने से साफ़ ज़ाहिर होता है कि मजीठिया पैसों की ताकत
के साथ लोकतंत्र को खऱीदना चाहता है जोकि देश में बिल्कुल भी संभव नहीं।
उन्होंने कहा कि अकाली दल द्वारा अपने 10 सालों के शासन के दौरान पैसे और
लोगों की ताकत का दुरुप्रयोग किया जिसके लिए पंजाब के लोगों ने उनको सत्ता
से हटा दिया, परन्तु ऐसा लगता है कि अकाली दल ने इससे कोई सबक नहीं सिखा।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार की कजऱ् स्कीम पहले ही कार्यवाही अधीन है।
मजीठिया द्वारा उठाए गए इस्तीफ़े की माँग के मुद्दे पर स. रंधावा ने कहा कि मजीठिया को वह दिन नहीं भुलने चाहिए जब वह नशा तस्करी के गंभीर दोषों का सामना कर रहा था परन्तु बादल मंडली ने उसको बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी और उसने कभी भी इस्तीफे की पेशकश नहीं दी।
रंधावा ने आगे कहा कि पंजाब के लोगों को यह बताना भी जरूरी है कि मजीठिया को बचाने के लिए समकालीन जेल मंत्री सरवन सिंह फिलौर को बली के बकरे की तरह इस्तेमाल करके इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया जबकि फिलौर की इसमें कोई भूमिका नहीं थी और उसके पुत्र दमनवीर फिलौर का नाम हटा दिया गया था जोकि जांच अधीन था। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि मजीठिया की राजनैतिक खेल छिपा नहीं क्यूंकि फिलौर ने सुप्रीम कोर्ट की पटीशन में साफ़ कहा था कि उसको राजनैतिक लाभ लेने के लिए इस केस में जानबूझ कर फसाया गया है। इसके बाद फिलौर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ी राहत दी गई।
रंधावा ने कहा कि उनको समझ नहीं आता कि कोई व्यक्ति जो उस समय नशा तस्करी के लिए ई.डी. की निगरानी अधीन था, उसने कभी भी अपने इस्तीफ़े की पेशकश नहीं की। किसान को पैसे /रिश्वत देने के मामले जिसमें अकाली नेता पैसो के स्रोत संबंधी बताने में असफल रहा, में ई.डी. जांच की मांग करते रंधावा ने मजीठिया के इस्तीफ़े की मांग की। रंधावा ने कहा कि मंत्री के तौर पर वह इस्तीफ़े की मांग कर सकते हैं और यह ई.डी. एजेंसी की ड्यूटी बनती है कि वह चार्ज को सिद्ध करे और अगर मजीठिया भी यह ख़ुद मानता है कि उसने सरकार की कर्ज राहत स्कीम में विघ्न डालने की गलती की है तो उसको पैसो के स्रोत का खुलासा करना चाहिए नहीं तो वह (रंधावा) एजेंसी को मजीठिया से पूछताछ करने के लिए कहेंगे क्यूंकि मजीठिया नशा तस्करी में शामिल होने और अन्य माफिया जैसे माइनिंग और शराब माफिया के साथ मिलीभुगत होने के दोषों का सामना कर रहे हैं।
मजीठिया द्वारा उठाए गए इस्तीफ़े की माँग के मुद्दे पर स. रंधावा ने कहा कि मजीठिया को वह दिन नहीं भुलने चाहिए जब वह नशा तस्करी के गंभीर दोषों का सामना कर रहा था परन्तु बादल मंडली ने उसको बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी और उसने कभी भी इस्तीफे की पेशकश नहीं दी।
रंधावा ने आगे कहा कि पंजाब के लोगों को यह बताना भी जरूरी है कि मजीठिया को बचाने के लिए समकालीन जेल मंत्री सरवन सिंह फिलौर को बली के बकरे की तरह इस्तेमाल करके इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया जबकि फिलौर की इसमें कोई भूमिका नहीं थी और उसके पुत्र दमनवीर फिलौर का नाम हटा दिया गया था जोकि जांच अधीन था। कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि मजीठिया की राजनैतिक खेल छिपा नहीं क्यूंकि फिलौर ने सुप्रीम कोर्ट की पटीशन में साफ़ कहा था कि उसको राजनैतिक लाभ लेने के लिए इस केस में जानबूझ कर फसाया गया है। इसके बाद फिलौर को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बड़ी राहत दी गई।
रंधावा ने कहा कि उनको समझ नहीं आता कि कोई व्यक्ति जो उस समय नशा तस्करी के लिए ई.डी. की निगरानी अधीन था, उसने कभी भी अपने इस्तीफ़े की पेशकश नहीं की। किसान को पैसे /रिश्वत देने के मामले जिसमें अकाली नेता पैसो के स्रोत संबंधी बताने में असफल रहा, में ई.डी. जांच की मांग करते रंधावा ने मजीठिया के इस्तीफ़े की मांग की। रंधावा ने कहा कि मंत्री के तौर पर वह इस्तीफ़े की मांग कर सकते हैं और यह ई.डी. एजेंसी की ड्यूटी बनती है कि वह चार्ज को सिद्ध करे और अगर मजीठिया भी यह ख़ुद मानता है कि उसने सरकार की कर्ज राहत स्कीम में विघ्न डालने की गलती की है तो उसको पैसो के स्रोत का खुलासा करना चाहिए नहीं तो वह (रंधावा) एजेंसी को मजीठिया से पूछताछ करने के लिए कहेंगे क्यूंकि मजीठिया नशा तस्करी में शामिल होने और अन्य माफिया जैसे माइनिंग और शराब माफिया के साथ मिलीभुगत होने के दोषों का सामना कर रहे हैं।
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