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राजस्थान के बाहर देवस्थान विभाग की अरबों की संपदा,लेखा-जोखा विभाग के पास नहीं

khaskhabar.com : मंगलवार, 16 जुलाई 2019 5:26 PM (IST)
राजस्थान के बाहर देवस्थान विभाग की अरबों की संपदा,लेखा-जोखा विभाग के पास नहीं
सत्येंद्र शुक्ला

जयपुर । पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए टैग लाइन दी थी जाने क्या दिख जाए। लेकिन पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार राजस्थान के बाहर स्थित देवस्थान विभाग की अरबों रुपयों की अचल संपदा का ना तो लेखा-जोखा जुटा सकी और ना ही देख सकी। अब प्रदेश के पर्यटन, देवस्थान मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने प्रदेश के बाहर स्थित देवस्थान विभाग के मंदिरों की जानकारी मांगी, तो पता चला कि अरबों रुपयों की देवस्थान विभाग की संपत्ति का कोई लेखा-जोखा विभााग के पास नहीं है। देवस्थान मंत्री ने इसके लिए आयुक्त देवस्थान को दो महीने के अंदर उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए है।

देवस्थान मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने खास खबर डॉट कॉम को बताया कि विभाग के पास प्रदेश के बाहर स्थित मंदिरों की जानकारी तो है, लेकिन अचल संपत्ति का ब्यौरा नहीं है। उन्होंने कहा कि इसी तरह प्रदेश के अंदर भी देवस्थान विभाग की संपत्ति का यही हाल है। अब एक जिले के अधिकारी दूसरे जिले में जाकर देवस्थान विभाग की संपत्ति का सर्वे करेंगे, जिससे देवस्थान विभाग की संपत्ति पर कब्जे का पता चल सके।

वहीं देवस्थान विभाग के अधीन मंदिरों में सबसे पहले बात करें दिल्ली की, तो यहां जंतर-मंतर स्थित भैरू जी का मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन आता है और 2066 वर्गमीटर भूमि पर स्थित है। लेकिन आय-व्यय, दुकानों आदि की जानकारी विभाग के पास नहीं है।
अब बात करें महाराष्ट्र की तो यहां अमरावती में हनुमान जी और छत्री राजा मान सिंह प्रथम अचलपुरा मेें स्थित है। औरंगाबाद में हनुमान जी का मंदिर पडेगांव में स्थित है। इस मंदिर के पास 1.27 एकड़ कृषि भूमि है। औरंगाबाद में ही बेगमपुरा में विठ्‌ठलदास जी, कर्णपुरा में तुलजा माता का मंदिर है। यही पर बाला जी का मंदिर स्थित है और इस मंदिर के पास 2.24 एकड़ कृषि भूमि है। वहीं वैष्णव बाला जी, हनुमान जी का मंदिर भी स्थित है।लेकिन कितनी कृषि भूमि है। कितनी खुली भूमि है, क्या लेखा-जोखा है, यह देवस्थान विभाग के पास नहीं है।



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