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नोटबंदी का बोझ नहीं सहन कर सका दिल, छोड़ दिया साथ
तरनतारन। बेटी की डोली विदा करने के लिए जरूरी सामान की खरीददारी शुरू की तो पुरानी करंसी लेने से दुकानदारों ने मना कर दिया। बेटी की शादी का बोझ सुखदेव सिंह पर भारी पड़ गया। जिसके चलते उसकी हृदयघात से मौत हो गई। ये मामला जिला तरनतारन के गांव कल्ला का है। सुखदेव सिंह पुत्र महिंदर सिंह मेहनत मजदूरी करके घर का गुजारा चलाता था। तीन लड़कियों और दो लडक़ों सतनाम सिंह और जोरावर सिंह के पिता सुखदेव सिंह तीसरी लडक़ी का विवाह तय किया तो अंदाजा नहीं था कि करंसी में आने वाला परिवर्तन परिवार की खुशियों को गृहण लगा देगा। 18 नवंबर को परमजीत कौर की डोली रुख्सत करने के लिए पिता सुखदेव सिंह अपने दोनों लडक़ों की भी मदद लेता रहा। मेहनत-मजदूरी करने वाले परिवार द्वारा चार दिन से की जाती भागदौड़ रंग ना दिखा पाई। जो पैसे बेटी की शादी के लिए जमा किए थे उन्हें दुकानदारों ने लेने से मना कर दिया। जिसके कारण वह मानसिक परेशान था। मंगलवार को सुखदेव सिंह की हृदयघात से मौत हो गई।
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