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बेरोजगारों के सपनों में रंग भर रहे हैं अपने ‘भाईसा‘ और ‘दीदी‘

khaskhabar.com : मंगलवार, 05 सितम्बर 2017 11:01 AM (IST)
बेरोजगारों  के सपनों में रंग भर रहे हैं अपने ‘भाईसा‘ और ‘दीदी‘
विनोद मीना
दौसा।
जिले के शिक्षक दंपती पिछले छह सालों से गरीब छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क तैयारी करवाकर रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं।

बेरोजगार और बेसहारा युवक-युवती उन्हें ‘भाईसा‘ और ‘दीदी‘ कहकर संबोधित करते हैं, तो उनके परिजन ‘गुरूजी‘ और ‘बहनजी‘। यह संभवतया राजस्थान राज्य का ऐसा पहला युगल होगा, जो निजी खर्चे पर युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाकर उन्हें सरकारी क्षेत्र में रोजगार के मौके मुहैया करवा रहा है। शिक्षक दिवस (5 सितंबर) पर इस बेमिसाल युगल की कोशिश को हमारा सलाम-

प्रदेश की राजधानी से महज 55 किलोमीटर दूर एक कोशिश पिछले सात सालों से जारी है। कोशिश गरीब और बेसहारा युवाओं के सपनों में रंग भरने की, पैसों के अभाव में दम तोड़ती प्रतिभाओं को संजीवनी देने की। राज्य के अनुसूचित जाति और जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में से एक दौसा में सरकारी अध्यापक विनोद मीना और अध्यापिका सीमा मीना अपने स्वयं के खर्चे पर गरीब तबके के युवक-युवतियों को ‘निशुल्क गाइडेंस क्लासेज‘ के जरिए प्रतियोगी परीक्षाओं की निशुल्क तैयारी करवा रहे हैं।

अच्छी बात यह है उनके द्वारा प्रशिक्षित करीब 100 से ज्यादा युवक-युवतियों का पुलिस, एसएससी, बैंक, रेलवे, सेना और विभिन्न लोक सेवा आयोगों में चयनित भी हो चुके हैं। मीना दपंती साधन और धनविहीन युवाओं को न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाने के गुर सिखा रहे हैं बल्कि व्यक्तित्व विकास का भी काम कर रहे हैं।

जिद जो बनी मिशन

अलवर जिले के रैणी तहसील के निवासी विनोद बताते हैं, ‘हम खुद उस तबके से आते हैं, जहां पैसों के अभाव में हर सफलता के लिए संघर्ष करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में जैसे-तैसे बीए पास तो हो जाते हैं लेकिन कोचिंग के महंगे खर्चों के चलते प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी नहीं कर पाते हैं। हम नहीं चाहते थे कि प्रतिभाएं पैसों या तैयारी के अभाव में हथियार डाल दे। मैंने और पत्नी सीमा ने ठाना कि हम स्नातक पास कर आए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं में से कुछ छात्रों का चयन कर उन्हें अपने खर्चे पर प्रशिक्षित करेंगे। हमारी जिद आज पूरी होती दिखती है जब किसी छात्र का चयन होता है और वो हमारा मुंह मीठा कराने आता है।‘ उल्लेखनीय है कि स्वयं विनोद भारतीय प्रशासनिक सेवा के साक्षात्कार तक पहुंचे हैं।

सुपर-30 की तर्ज पर बनाया सुपर-60

विनोद और सीमा बिहार में संचालित ‘सुपर-30‘ की तर्ज ‘सुपर-60‘ बनाकर युवाओं को ट्रेंड करते हैं। दपंती एक कॉमन परीक्षा के जरिए 60 युवाओं का चयन कर उन्हें तीन महीने तक अंग्रेजी, गणित, दैनिक विज्ञान, सामान्य ज्ञान, तार्किक क्षमता जैसे विषयों की क्लासेज विषय विशेषज्ञों द्वारा उपलब्ध कराती है। पहले जहां दपंती स्वयं विषयों को पढ़ाते थे, वहीं उनके मिशन से जुड़कर अन्य विशेषज्ञ भी उनकी कोचिंग में निशुल्क पढ़ाने आते हैं। एक फैकल्टी सदस्य चंद्रप्रकाश शर्मा कहते हैं कि दिन का एक घंटा ‘निशुल्क गाइडेंस क्लासेज‘ में शिक्षा का दान करना बेहद सुकून देता है। दंपती का निस्वार्थ प्रयास समाज के लिए भी प्रेरणीय है। इसी तरह मनमोहन यहां तार्किक क्षमता और सामान्य ज्ञान पढ़ा रहे हैं। उनके अनुसार यहां से पास होने वाले छात्र भी यदि अपने स्तर ऐसे प्रयास करेंगे तो हम वाकई समाज को बहुत कुछ दे पाएंगे।

लोगों के तानों ने बनाया मजबूत

सीमा मीना बताती हैं कि 2011 में जब हमने इस काम को करने का बीड़ा उठाया तो हर किसी ने हमारा मजाक उड़ाया लेकिन लोगों के हर तंज में हमें मजबूती दी। हमने आज तक इस कोशिश को कभी संस्था या ट्रस्ट बनाने या पंजीकरण कराने की नहीं सोची। हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग हमारी मुहीम का हिस्सा बनें ताकि गरीब तबके के युवाओं को भी अपने सपनों में मनचाहे रंग भरने का मौका मिले। गौरतलब है कि यह कोशिश केवल दंपती के वेतन और बचाए हुए पैसों के सहारे ही चलती है।

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