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पीएम मोदी ने की थी तारीफ, लेकिन सचिन पायलट ने उठाया सवाल
जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से 31वॉं प्रश्न पूछा है कि ‘‘मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना में गैर तकनीकी जल संग्रहण ढांचों के निर्माण और इनके निर्माण में हुए भ्रष्टाचार पर, क्या आप गौरव महसूस करती हैं?’’
पायलट ने कहा कि भाजपा सरकार ने पहले तो सामंती सोच के कारण यूपीए सरकार के वाटरशेड प्रोग्राम में स्वीकृत 6 हजार करोड़ की योजनाओं को दो साल तक लटकाये रखा और फिर ग्राम पंचायतों की निर्बन्ध राशि को मिलाकर इसे नया नाम दिया एवं जनता को भ्रमित कर 50 करोड़ से अधिक जन सहयोग लेकर मुख्यमंत्री ने झालावाड़ में जिस चंदीपुर से इसका शुभारम्भ किया वही एनीकट पहली बरसात में टूट गया। उन्होंने कहा कि जब वे जालौर सिरोही के दौरे पर बाढ़ के बाद गये तब जनता ने उन्हें बताया कि अधिकारियों ने मनमर्जी की जगह पर जो एनीकट और एमआई टैंक बनाए वे गुणवत्ताहीन थे तथा उनके निर्माण में तकनीकी पहलू को भी दरकिनार किया गया था।
उन्होंने कहा कि 30 मई, 2017 को मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना की संचालन समिति की बैठक की कार्यवाही के विवरण से भी कुछ बातें स्पष्ट होती हैं जो स्वतरू ही इस योजना पर प्रश्रचिन्ह लगाती है। उन्होंने कहा कि गाइड लाईन में मनाही के बावजूद रैन वाटर हार्वेस्टिंग ढांचों, एनीकट, तालाबों का नवीनीकरण, मिट्टी निकालने के कामों की मंजूरी दी जाती रही, 10 जिलों में घटिया निर्माण की लगातार शिकायतें आती रही, जिनमें झालावाड़ और करौली की शिकायतें न केवल अधिक थी बल्कि इन जिलों की संचालन समिति की रिपोर्ट तक भी नहीं भेजी गई थी, जिला कलेक्टरों ने तीसरी एजेंसी द्वारा 10 प्रतिशत जांच की पालना तक भी नहीं की और मामला कलेक्टर्स सम्मेलन तक पहुॅंचा। उन्होंने कहा कि आरपीपीटी नियम की अवेहलना कर मुख्यमंत्री के स्तर से यह भी निर्णय हुआ कि इस योजना के 25 प्रतिशत कार्य बिना निविदा किए जिला कलेक्टर द्वारा पिक एन्ड चूज आधार पर एनजीओ को दिए जा सकते हैं और इसमें खूब बंदरबांट हुई है जबकि प्रदेश के 10 हजार सरपंचों की इस मांग पर सरकार चुप है कि उन्हें बीएसआर दर पर सामान खरीदने की इजाजत मिल जाए।
उन्होंने कहा कि इस योजना की ऑडिट की जाए तो सामने आएगा कि अधिकांश तकमीने बढ़ा-चढ़ाकर बनाए गए हैं और वाटरशेड योजना के आयुक्त ने अधिकारिक बैठक में इस ओर इंगित करते हुए फेज प्रथम में 200 करोड़ की गड़बड़ी की आशंका जताई थी जिसकी आज तक कोई पारदर्शी जांच नहीं हुई है, इसके विपरीत जिन अधिकारियों ने थोड़ी भी आवाज उठाई उनके साथ दुव्र्यवहार किया गया। उन्होंने सरकार के उन फर्जी विज्ञापनों पर भी प्रश्र उठाया है जिनमें बताया जा रहा है कि जल स्वावलम्बन योजना के कारण 28 ब्लॉक डार्क जोन से बाहर हो गये हैं। उन्होंने पूछा है कि जब भारत सरकार ने 2013 के बाद अपनी रिपोर्ट ही जारी नहीं की है तो किस आधार पर मुख्यमंत्री यह प्रचार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान की विफलता इस तथ्य से भी साबित होती है कि जहां 2016 की गर्मी में प्रदेश की 2500 गॉंव-ढाणियों में टैंकर से पेयजल परिवहन होता था वही संख्या 2018 की गर्मी में 4966 हो गई थी।
पायलट ने जल स्वावलम्बन के नाम पर मुख्यमंत्री द्वारा भ्रष्टाचार को संस्थागत किये जाने पर पूछा है कि क्या वे इस पर गौरव महसूस करती हैं?
पायलट ने कहा कि भाजपा सरकार ने पहले तो सामंती सोच के कारण यूपीए सरकार के वाटरशेड प्रोग्राम में स्वीकृत 6 हजार करोड़ की योजनाओं को दो साल तक लटकाये रखा और फिर ग्राम पंचायतों की निर्बन्ध राशि को मिलाकर इसे नया नाम दिया एवं जनता को भ्रमित कर 50 करोड़ से अधिक जन सहयोग लेकर मुख्यमंत्री ने झालावाड़ में जिस चंदीपुर से इसका शुभारम्भ किया वही एनीकट पहली बरसात में टूट गया। उन्होंने कहा कि जब वे जालौर सिरोही के दौरे पर बाढ़ के बाद गये तब जनता ने उन्हें बताया कि अधिकारियों ने मनमर्जी की जगह पर जो एनीकट और एमआई टैंक बनाए वे गुणवत्ताहीन थे तथा उनके निर्माण में तकनीकी पहलू को भी दरकिनार किया गया था।
उन्होंने कहा कि 30 मई, 2017 को मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना की संचालन समिति की बैठक की कार्यवाही के विवरण से भी कुछ बातें स्पष्ट होती हैं जो स्वतरू ही इस योजना पर प्रश्रचिन्ह लगाती है। उन्होंने कहा कि गाइड लाईन में मनाही के बावजूद रैन वाटर हार्वेस्टिंग ढांचों, एनीकट, तालाबों का नवीनीकरण, मिट्टी निकालने के कामों की मंजूरी दी जाती रही, 10 जिलों में घटिया निर्माण की लगातार शिकायतें आती रही, जिनमें झालावाड़ और करौली की शिकायतें न केवल अधिक थी बल्कि इन जिलों की संचालन समिति की रिपोर्ट तक भी नहीं भेजी गई थी, जिला कलेक्टरों ने तीसरी एजेंसी द्वारा 10 प्रतिशत जांच की पालना तक भी नहीं की और मामला कलेक्टर्स सम्मेलन तक पहुॅंचा। उन्होंने कहा कि आरपीपीटी नियम की अवेहलना कर मुख्यमंत्री के स्तर से यह भी निर्णय हुआ कि इस योजना के 25 प्रतिशत कार्य बिना निविदा किए जिला कलेक्टर द्वारा पिक एन्ड चूज आधार पर एनजीओ को दिए जा सकते हैं और इसमें खूब बंदरबांट हुई है जबकि प्रदेश के 10 हजार सरपंचों की इस मांग पर सरकार चुप है कि उन्हें बीएसआर दर पर सामान खरीदने की इजाजत मिल जाए।
उन्होंने कहा कि इस योजना की ऑडिट की जाए तो सामने आएगा कि अधिकांश तकमीने बढ़ा-चढ़ाकर बनाए गए हैं और वाटरशेड योजना के आयुक्त ने अधिकारिक बैठक में इस ओर इंगित करते हुए फेज प्रथम में 200 करोड़ की गड़बड़ी की आशंका जताई थी जिसकी आज तक कोई पारदर्शी जांच नहीं हुई है, इसके विपरीत जिन अधिकारियों ने थोड़ी भी आवाज उठाई उनके साथ दुव्र्यवहार किया गया। उन्होंने सरकार के उन फर्जी विज्ञापनों पर भी प्रश्र उठाया है जिनमें बताया जा रहा है कि जल स्वावलम्बन योजना के कारण 28 ब्लॉक डार्क जोन से बाहर हो गये हैं। उन्होंने पूछा है कि जब भारत सरकार ने 2013 के बाद अपनी रिपोर्ट ही जारी नहीं की है तो किस आधार पर मुख्यमंत्री यह प्रचार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान की विफलता इस तथ्य से भी साबित होती है कि जहां 2016 की गर्मी में प्रदेश की 2500 गॉंव-ढाणियों में टैंकर से पेयजल परिवहन होता था वही संख्या 2018 की गर्मी में 4966 हो गई थी।
पायलट ने जल स्वावलम्बन के नाम पर मुख्यमंत्री द्वारा भ्रष्टाचार को संस्थागत किये जाने पर पूछा है कि क्या वे इस पर गौरव महसूस करती हैं?
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