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पीएम मोदी जाति कार्ड खेलकर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं: गहलोत
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के मौजूदा असल मुद्दों को छोड़कर हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी जाति कार्ड खेलकर राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं। जब भी उन्हें लगता है कि वे पिछड़ रहे हैैं, तब धर्म, राष्ट्रवाद, पाकिस्तान और अपने को पिछड़ी जाति का होने की बात कर जनता को गुमराह करते हैं।
उन्होंने कहा कि मोदी जी असल मुद्दों की कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं। राहुल गांधी एवं पूरे विपक्ष द्वारा देशहित में उठाए गए मुद्दों का जवाब देने की बजाय वे भावनात्मक मुद्दा बनाने में लगे हुए है। वे छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को भ्रमित करते हुए झूठ और जुमलेबाजी की कैसी भी राजनीति कर लें जनता तो अब उनकी विदाई का पूरा मानस बना चुकी है। बिहार, पंजाब, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जहां उनकी सरकारें थी वहां भी वे बचाव की स्थिति में थे किन्तु उन्हें पराजय का ही सामना करना पड़ा।
गहलोत ने कहा कि मोदी जी किसी भी बात को झूठ और तोड़-मरोड़कर कहने में माहिर हैं। अभी हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र की एक सभा में कहा कांग्रेस ने पिछड़े समाज को चोर कहा जबकि राहुल जी सहित कांग्रेस के किसी भी नेता ने कभी भी ऐसा नहीं कहा और न ही ऐसा कभी कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री रहते हुए इस तरह के झूठे बयान देना न तो उनके पद के अनुरूप है और न ही इसे लोकतांत्रिक मर्यादा के अनुकूल माना जा सकता है।
उन्होंने कहा कि मोदी जी असल मुद्दों की कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं। राहुल गांधी एवं पूरे विपक्ष द्वारा देशहित में उठाए गए मुद्दों का जवाब देने की बजाय वे भावनात्मक मुद्दा बनाने में लगे हुए है। वे छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को भ्रमित करते हुए झूठ और जुमलेबाजी की कैसी भी राजनीति कर लें जनता तो अब उनकी विदाई का पूरा मानस बना चुकी है। बिहार, पंजाब, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जहां उनकी सरकारें थी वहां भी वे बचाव की स्थिति में थे किन्तु उन्हें पराजय का ही सामना करना पड़ा।
गहलोत ने कहा कि मोदी जी किसी भी बात को झूठ और तोड़-मरोड़कर कहने में माहिर हैं। अभी हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र की एक सभा में कहा कांग्रेस ने पिछड़े समाज को चोर कहा जबकि राहुल जी सहित कांग्रेस के किसी भी नेता ने कभी भी ऐसा नहीं कहा और न ही ऐसा कभी कहा जा सकता है। प्रधानमंत्री रहते हुए इस तरह के झूठे बयान देना न तो उनके पद के अनुरूप है और न ही इसे लोकतांत्रिक मर्यादा के अनुकूल माना जा सकता है।
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