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संत लिखमीदास के रंग में रंगे श्रद्धालु, हुए विभिन्न आयोजन
नागौर। संत शिरोमणि लिखमीदास महाराज स्मारक विकास संस्थान की ओर से एक दिसम्बर से
अमरपुरा में चल रहे पांच दिवसीय स्मारक लोकार्पण व मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा
महोत्सव के चौथे दिन रविवार को भक्त चरित्र कथा वाचन, मूर्तियों का
अन्नाधिवास व जलाधिवास, भजन संध्या तथा बोली कार्यक्रम हुए। यहां हर कोई संत लिखमीदास महाराज के रंग में रंगा नजर आ रहा था। रविवार देर रात तक आयोजन स्थल पर देशभर से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी था। इससे पहले सुबह हजारों की संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। श्रद्धालुओं के आगे पंडाल छोटा पड़ गया। सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक भक्त चरित्र कथा हुई, जिसमें बड़ा रामद्वारा सूरसागर (जोधपुर) के रामस्नेही संत रामप्रसाद ने कृष्ण-सुदामा मित्रता का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भगवान प्रेम के भूखे होते हैं। इस दौरान उन्होंने करमा बाई के जीवन पर प्रकाश डालते हुए थाली में भरकर लाई रे खिचड़ो, ऊपर घी की बाटकी, जीमो मारा श्याम धणी जिमावे बेटी जाट की....भजन सुनाया तो श्रद्धालु भक्तिरस में डूब गए। इससे पहले उन्होंने जीवन के व्यावहारिक पक्षों की सीख दी। संस्थान अध्यक्ष राजेन्द्र गहलोत ने कहा कि लिखमीदास महाराज की कृपा, सभी जनप्रतिनिधियों की शुभेच्छा व कार्यकर्ताओं की मेहनत से यह कार्यक्रम सफल हो पाया है। कार्यक्रम में संस्थान सहसचिव मनोहरलाल परिहार, गुजरात के पूर्व विधायक अनिल माली, गुजरात माली फैडरेशन के अध्यक्ष गंगाराम गहलोत, अमराराम परमार सांचौर, महेश चौहान, रामवल्लभ भाटी हैदराबाद, चोथाराम, गोविन्द टाक, उदयराम बेंगलूरु, बंशीलाल माली भीलवाड़ा, मुम्बई माली समाज अध्यक्ष चेनाराम परिहार, केशराराम परमार ने संत का स्वागत किया। पांच दिवसीय कथा महोत्सव में कोषाध्यक्ष बहादुर सिंह भाटी, श्याम सुंदर परिहार, कमल भाटी, आनंदसिंह कच्छावा, हुकम सिंह कच्छावा, नरेन्द्र पंवार, धर्माराम भाटी ने भी सेवाएं दीं। इससे पहले नवनिर्मित मंदिर व मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव के तहत सोमवार को संत लिखमादास, बाबा रामदेव, भगवान श्रीराम व द्वारकाधीश की प्रतिमाओं का अन्नाधिवास व जलाधिवास कराया गया। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। पचास तरह के चढ़ावे चढ़ाए गए। प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में हजारों लोगों ने प्रसादी पाई। रविवार को करीब 45 हजार तथा शनिवार को करीब 27 हजार लोगों ने प्रसादी पाई थी। इस दौरान सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने व्यवस्था संभाली। करीब 10 बीघा में क्षेत्र में टेंंट लगाकर भोजन की व्यवस्था की गई है। महोत्सव में करीब 10 हजार श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था की गई है।
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