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लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद भी सपा में एकता की तस्वीर फिलहाल धुंधली
सूत्रों का कहना है कि प्रमुख नेताओं से
अलग-अलग वार्ता में मुलायम सिंह यादव पुराने कार्यकर्ताओं को एक मंच पर
लाकर भाजपा का विकल्प तैयार करने की इच्छा जता चुके हैं।
राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल का कहना है कि शिवपाल की ओर से कोई हिचक नहीं
है। उन्हें लगता है कि उनकी वरिष्ठता के चलते अब वह पार्टी में जाएंगे तो
उन्हें कोई बड़ा पद मिलेगा। शिवपाल अलग पार्टी बनाकर अपनी हिम्मत दिखा चुके
हैं। इसलिए उनकी क्षमता पर भी कोई शक नहीं किया जा सकता है। अखिलेश और
मुलायम दोनों जानते हैं कि सपा को यहां पहुंचाने में उनका बड़ा हाथ है।
उन्होंने कहा कि शिवपाल को मालूम है कि उनकी इस बार पार्टी में क्या भूमिका होगी। वह अपनी पार्टी का विलय अपनी शर्तों पर ही करेंगे। अभी फिलहाल उन्हें मनाने का प्रयास किया जा रहा है। वह जानते हैं कि उनका वह अपरहैंड हैं। वह श्रेय लेना चाहते हैं कि जिस पार्टी को मुलायम ने बनाया और अखिलेश ने डुबोया, उसे शिवपाल उबार सकते हैं। इसलिए इसमें शिवपाल को दिक्कत नहीं है। अखिलेश को दिक्कत होगी।
उन्होंने कहा कि शिवपाल को मालूम है कि उनकी इस बार पार्टी में क्या भूमिका होगी। वह अपनी पार्टी का विलय अपनी शर्तों पर ही करेंगे। अभी फिलहाल उन्हें मनाने का प्रयास किया जा रहा है। वह जानते हैं कि उनका वह अपरहैंड हैं। वह श्रेय लेना चाहते हैं कि जिस पार्टी को मुलायम ने बनाया और अखिलेश ने डुबोया, उसे शिवपाल उबार सकते हैं। इसलिए इसमें शिवपाल को दिक्कत नहीं है। अखिलेश को दिक्कत होगी।
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