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चिकित्सकों ने जाना स्कल बेस उपचार में आई नवीनतम विधियों को, यहां पढ़ें
जयपुर । सिद्धम ईएनटी हॉस्पिटल और महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के संयुक्त तत्वावधान में यहां हयात रिजेंसी मानसरोवर में चल रहे ईएण्डटी रोग विशेषज्ञो के दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस का समापन हो गया। इस आयोजन में नामचीन चिकित्सक अपने विचार आगन्तुक ईएनटी चिकित्सकों के साथ साझा किए।
आयोजन में देश भर के अलावा जयपुर के करीब 300 ईएनटी विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस मौके पर ओर्गनइजिंग सेक्रेटरी, डॉ. ऋषभ जैन ने आगंतुको का आभार व्यक्त किया और बताया कि स्कल बेस एक कठिन क्षेत्र है जटिलताओं के उच्च जोखिम के कारण ऑपरेट करने में और देश में केवल कुछ ही डॉ. ये सर्जरी करते हैं। सिद्धम ईएनटी अस्पताल ने इन जटिल सर्जरी के लिए दूसरों को प्रशिक्षित करने और राजस्थान के लोगों में स्कल बेस में आई नवीनतम विधियों के प्रति जागरूता बढ़ाने व लाभान्वित करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया। आज हुए पहले सत्र में डॉ. अचल ने रोल ऑफ डीटीआई इन प्रिजर्वेशन ऑफ फेशियल नर्व इन वेस्टिबूलर सेन मेनिया सर्जरी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेस्टिबुलर न्यूरिटिस एक विकार है जो आंतरिक कान की नर्व को प्रभावित करता है जिसे वेस्टिबुलोकोक्लियर नर्व कहा जाता है। यह नर्व आंतरिक कान से मस्तिष्क तक संतुलन और सिर की स्थिति की जानकारी भेजती है। जब यह नर्व सूज जाती है, तो यह उस तरीके को बाधित करती है जिस तरह से सामान्य रूप से मस्तिष्क द्वारा जानकारी की व्याख्या की जाती है। वेस्टिबुलर न्यूरिटिस सभी उम्र के लोगों में हो सकता है, लेकिन बच्चे इस पर कम ही गौर करते है और शायद ही इसकी सूचना उन्हे दी जाती है।
कॉन्फ्रेंस चेयरमैन डॉ तरुण ओझा ने बताया कि एक अन्य सत्र में डॉ अजय ने सबटोटल पेट्रोसेक्टोमी एण्ड इंप्लांट्स पर जानकारी देते हुए इस बात का उल्लेख किया कि डेन्टल केयर में सुधार के बावजूद, कई लोगों में दांत समय से पहले खराब हो जाते हैं, ज्यादातर दांतों की सड़न, पीरियोडोंटल बीमारी या चोट के कारण पाए जाते है कई वर्षों तक, बिना दांत वाले लोगों के लिए उपलब्ध एकमात्र उपचार विकल्प पुल और डेन्चर थे लेकिन आज दंत प्रत्यारोपण उपलब्ध हैं और इसमें भी कई सुधार एवं क्रांतिकारी शोध एवं सुधार हुए हैं। समापन सत्र में डॉ. ़ऋषभ जैन ने लेटरोजेनिक स्कल बेस इंजरी के बारे में व्याख्यान दिया। इस सत्र के चेयरपर्सन और मॉडरेटर डॉ. यूएस केडिया, डॉ. अतुल माखिजा और डॉ सौरभ रहे। इस विधि के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. ऋषभ ने बताया कि स्कल बेस सर्जरी गैर-कैंसर और कैंसर दोनों तरह के विकास और मस्तिष्क के नीचे, खोपड़ी के आधार, या रीढ़ की हड्डी के स्तंभ के शीर्ष कुछ कशेरुकाओं को हटाने के लिए की जा सकती है। क्योंकि यह देखने और पहुंचने के लिए इतना कठिन क्षेत्र है, कि यह सर्जरी एक न्यूनतम इनवेसिव एंडोस्कोपिक प्रोसिजर द्वारा की जा सकती है। इस प्रक्रिया में सर्जन खोपड़ी में नेचुरल ओपनिंग नाक या मुंह के माध्यम से या भौं के ठीक ऊपर एक छोटा सा छेद करके उपकरणों को सम्मिलित करता है। इसके बाद डॉ मोहनीश ने रिक्यूटमेंट फिबोरियस डॉस्पेशिया का हॉस्पिटल के ओटी से लाइव सर्जरी सत्र प्रसारित किया।
आयोजन में देश भर के अलावा जयपुर के करीब 300 ईएनटी विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस मौके पर ओर्गनइजिंग सेक्रेटरी, डॉ. ऋषभ जैन ने आगंतुको का आभार व्यक्त किया और बताया कि स्कल बेस एक कठिन क्षेत्र है जटिलताओं के उच्च जोखिम के कारण ऑपरेट करने में और देश में केवल कुछ ही डॉ. ये सर्जरी करते हैं। सिद्धम ईएनटी अस्पताल ने इन जटिल सर्जरी के लिए दूसरों को प्रशिक्षित करने और राजस्थान के लोगों में स्कल बेस में आई नवीनतम विधियों के प्रति जागरूता बढ़ाने व लाभान्वित करने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया गया। आज हुए पहले सत्र में डॉ. अचल ने रोल ऑफ डीटीआई इन प्रिजर्वेशन ऑफ फेशियल नर्व इन वेस्टिबूलर सेन मेनिया सर्जरी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वेस्टिबुलर न्यूरिटिस एक विकार है जो आंतरिक कान की नर्व को प्रभावित करता है जिसे वेस्टिबुलोकोक्लियर नर्व कहा जाता है। यह नर्व आंतरिक कान से मस्तिष्क तक संतुलन और सिर की स्थिति की जानकारी भेजती है। जब यह नर्व सूज जाती है, तो यह उस तरीके को बाधित करती है जिस तरह से सामान्य रूप से मस्तिष्क द्वारा जानकारी की व्याख्या की जाती है। वेस्टिबुलर न्यूरिटिस सभी उम्र के लोगों में हो सकता है, लेकिन बच्चे इस पर कम ही गौर करते है और शायद ही इसकी सूचना उन्हे दी जाती है।
कॉन्फ्रेंस चेयरमैन डॉ तरुण ओझा ने बताया कि एक अन्य सत्र में डॉ अजय ने सबटोटल पेट्रोसेक्टोमी एण्ड इंप्लांट्स पर जानकारी देते हुए इस बात का उल्लेख किया कि डेन्टल केयर में सुधार के बावजूद, कई लोगों में दांत समय से पहले खराब हो जाते हैं, ज्यादातर दांतों की सड़न, पीरियोडोंटल बीमारी या चोट के कारण पाए जाते है कई वर्षों तक, बिना दांत वाले लोगों के लिए उपलब्ध एकमात्र उपचार विकल्प पुल और डेन्चर थे लेकिन आज दंत प्रत्यारोपण उपलब्ध हैं और इसमें भी कई सुधार एवं क्रांतिकारी शोध एवं सुधार हुए हैं। समापन सत्र में डॉ. ़ऋषभ जैन ने लेटरोजेनिक स्कल बेस इंजरी के बारे में व्याख्यान दिया। इस सत्र के चेयरपर्सन और मॉडरेटर डॉ. यूएस केडिया, डॉ. अतुल माखिजा और डॉ सौरभ रहे। इस विधि के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. ऋषभ ने बताया कि स्कल बेस सर्जरी गैर-कैंसर और कैंसर दोनों तरह के विकास और मस्तिष्क के नीचे, खोपड़ी के आधार, या रीढ़ की हड्डी के स्तंभ के शीर्ष कुछ कशेरुकाओं को हटाने के लिए की जा सकती है। क्योंकि यह देखने और पहुंचने के लिए इतना कठिन क्षेत्र है, कि यह सर्जरी एक न्यूनतम इनवेसिव एंडोस्कोपिक प्रोसिजर द्वारा की जा सकती है। इस प्रक्रिया में सर्जन खोपड़ी में नेचुरल ओपनिंग नाक या मुंह के माध्यम से या भौं के ठीक ऊपर एक छोटा सा छेद करके उपकरणों को सम्मिलित करता है। इसके बाद डॉ मोहनीश ने रिक्यूटमेंट फिबोरियस डॉस्पेशिया का हॉस्पिटल के ओटी से लाइव सर्जरी सत्र प्रसारित किया।
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