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दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से दिल्ली से लगती हरियाणा और उत्तर प्रदेश की विभिन्न सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच दिल्ली के एक निवासी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए किसानों को सड़कों से हटाने का निर्देश देने की मांग की है। याचिका में किसानों को सड़कों से तत्काल हटाने की मांग की गई है, क्योंकि इससे आपातकालीन/चिकित्सा सेवाएं बाधित हो रही हैं।
ऋषभ शर्मा ने अधिवक्ता ओमप्रकाश परिहार के माध्यम से अपनी दलील में कहा कि कोविड-19 के सामुदायिक प्रसार की आशंकाओं के मद्देनजर भी किसानों को उनके विरोध स्थलों से हटाना आवश्यक है।
दलील में दिल्ली में कोविड-19 मामलों में तेजी से वृद्धि का हवाला भी दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह विरोध प्रदर्शन राजधानी के बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए विभिन्न राज्यों से अक्सर दिल्ली जाने वाले लोगों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न कर रहा है।
याचिका में कहा गया है, "प्रदर्शनकारियों के इस तरह के गैरजिम्मेदाराना कृत्य से लोग प्रभावित हुए हैं और राज्य इन प्रदर्शनकारियों को हटाने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि वे भारी संख्या में हैं। इस विरोध के कारण भारत के नागरिकों को बहुत परेशानी हो रही है। इसलिए याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष जनहित याचिका दायर की है।"
याचिका में दावा किया गया कि तीन लाख से अधिक किसान दिल्ली की सीमाओं पर एकत्र हुए और नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, मगर सार्वजनिक तौर पर सरकार की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है कि 50 लोगों से अधिक एकत्रित नहीं हो सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से दिल्ली सीमाओं पर प्रदर्शनकारियों के समूहों को तत्काल हटाने के निर्देश जारी करने की मांग की है और उन्हें कोरोनावायरस संक्रमण के फैलने के तत्काल खतरे के मद्देनजर दिल्ली पुलिस द्वारा पहले से आवंटित जगह पर स्थानांतरित करने का आग्रह किया है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली बॉर्डर पर विरोध करने वाले लाखों लोगों का जीवन तत्काल खतरे में है, क्योंकि अगर संक्रमण तेजी से फैला तो इससे देश में तबाही मच जाएगी।
--आईएएनएस
ऋषभ शर्मा ने अधिवक्ता ओमप्रकाश परिहार के माध्यम से अपनी दलील में कहा कि कोविड-19 के सामुदायिक प्रसार की आशंकाओं के मद्देनजर भी किसानों को उनके विरोध स्थलों से हटाना आवश्यक है।
दलील में दिल्ली में कोविड-19 मामलों में तेजी से वृद्धि का हवाला भी दिया गया है। इसमें कहा गया है कि यह विरोध प्रदर्शन राजधानी के बड़े सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने के लिए विभिन्न राज्यों से अक्सर दिल्ली जाने वाले लोगों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न कर रहा है।
याचिका में कहा गया है, "प्रदर्शनकारियों के इस तरह के गैरजिम्मेदाराना कृत्य से लोग प्रभावित हुए हैं और राज्य इन प्रदर्शनकारियों को हटाने की स्थिति में नहीं हैं, क्योंकि वे भारी संख्या में हैं। इस विरोध के कारण भारत के नागरिकों को बहुत परेशानी हो रही है। इसलिए याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष जनहित याचिका दायर की है।"
याचिका में दावा किया गया कि तीन लाख से अधिक किसान दिल्ली की सीमाओं पर एकत्र हुए और नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, मगर सार्वजनिक तौर पर सरकार की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है कि 50 लोगों से अधिक एकत्रित नहीं हो सकते हैं।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से दिल्ली सीमाओं पर प्रदर्शनकारियों के समूहों को तत्काल हटाने के निर्देश जारी करने की मांग की है और उन्हें कोरोनावायरस संक्रमण के फैलने के तत्काल खतरे के मद्देनजर दिल्ली पुलिस द्वारा पहले से आवंटित जगह पर स्थानांतरित करने का आग्रह किया है।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली बॉर्डर पर विरोध करने वाले लाखों लोगों का जीवन तत्काल खतरे में है, क्योंकि अगर संक्रमण तेजी से फैला तो इससे देश में तबाही मच जाएगी।
--आईएएनएस
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