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दूसरी बार हो गया उद्घाटन, यात्री निवास बन गया सिविल अस्पताल
कांगड़ा(मोनिका शर्मा)। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने ज्वालामुखी में सिविल अस्पताल की उस ईमारत का उद्घाटन कर दिया, जिसे पहले यात्री निवास बनाया गया था लेकिन अब यहां सिविल अस्पताल रूप ले चुका है। दिलचस्प बात यह है कि इस यात्री निवास का उद्घाटन भी वीरभद्र सिंह ही कर चुके हैं। दिल्ली के छत्तरपुर के जाने माने प्रख्यात संत बाबा नागपाल के प्रयासों से 1993 के दौरान यह यात्री निवास बनकर तैयार हुआ था व बाबा के हाथों बाकायदा शिलान्यास भी कराया गया था, जिसकी शिलान्यास पट्टिका आज भी इसी परिसर में स्थापित है। उसके बाद जब वीरभद्र सिंह सीएम बने तो उनके हाथों यात्री निवास का उद्घाटन हुआ। वीरभद्र सिंह वाली शिलान्यास पट्टिका भी यहां अभी है। जिसे आज दवाईयों की पेटियों में दबा दिया गया था।
इस सिविल अस्पताल की कहानी भी खासी दिलचस्प है। मौजूदा सरकार ने ज्वालामुखी के सरकारी अस्पताल को यात्री निवास में शिफ्ट किया व बस अड्डे के पास पुराने अस्पताल की ईमारत में तोडफ़ोड़ कर वहां अभी मिनी सचिवालय बनाया जा रहा है। यात्री निवास को अस्पताल की शक्ल देने में लाखों रूपये सरकार के खर्च हुये। यही नहीं यात्री निवास को लेकर जब सवाल उठने लगे तो यहां पास ही नया यात्री निवास बनाया गया। जिसका उद्घाटन भी चार दिन पहले सीएम वीरभद्र सिंह ने किया है।
अब सवाल उठ रहा है कि लाखों रूपये नयी ईमारतों को बनाने में ही खर्च करने थे तो क्या नया अस्पताल या मिनी सचिवालय नहीं बनाया जा सकता था। यही नहीं यात्री निवास में चल रहा अस्पताल हर किसी के लिये सिरदर्द बना हुआ है। मरीजों की यहां पूरी सुविधायें न होने की शिकायतें रहती हैं। चूंकि यात्री निवास अस्पताल के मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है।
सीएम को गुस्सा आ गया
वीरभद्र सिंह सपड़ी हेलिपेड पर उतरने के बाद सीधे ज्वालामुखी के यात्री निवास में बने सिविल अस्पताल में पहुंचेए तो परिसर में उद्घाटन करने के बाद शिलान्यास पट्किा देखने लगे तो उन्होंने अस्पताल के बारे में जानकारी लेनी चाहीए उन्हें वहां मौजूद लोगों ने बताया कि सिविल अस्पताल में भले ही 100 बेड का प्रावधान है लेकिन फिलवक्त यहां तीस बेड ही हैं व बाकी बेड अभी यहां लगाये जाने हैं। जवाब सुनते ही सीएम ने नाखुशी जाहिर की व अस्पताल के डाक्टरों को तलब किया लेकिन उनके जवाब से वह संतुष्ट नहीं दिखे व आगे बढ़ गये।
इस सिविल अस्पताल की कहानी भी खासी दिलचस्प है। मौजूदा सरकार ने ज्वालामुखी के सरकारी अस्पताल को यात्री निवास में शिफ्ट किया व बस अड्डे के पास पुराने अस्पताल की ईमारत में तोडफ़ोड़ कर वहां अभी मिनी सचिवालय बनाया जा रहा है। यात्री निवास को अस्पताल की शक्ल देने में लाखों रूपये सरकार के खर्च हुये। यही नहीं यात्री निवास को लेकर जब सवाल उठने लगे तो यहां पास ही नया यात्री निवास बनाया गया। जिसका उद्घाटन भी चार दिन पहले सीएम वीरभद्र सिंह ने किया है।
अब सवाल उठ रहा है कि लाखों रूपये नयी ईमारतों को बनाने में ही खर्च करने थे तो क्या नया अस्पताल या मिनी सचिवालय नहीं बनाया जा सकता था। यही नहीं यात्री निवास में चल रहा अस्पताल हर किसी के लिये सिरदर्द बना हुआ है। मरीजों की यहां पूरी सुविधायें न होने की शिकायतें रहती हैं। चूंकि यात्री निवास अस्पताल के मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा है।
सीएम को गुस्सा आ गया
वीरभद्र सिंह सपड़ी हेलिपेड पर उतरने के बाद सीधे ज्वालामुखी के यात्री निवास में बने सिविल अस्पताल में पहुंचेए तो परिसर में उद्घाटन करने के बाद शिलान्यास पट्किा देखने लगे तो उन्होंने अस्पताल के बारे में जानकारी लेनी चाहीए उन्हें वहां मौजूद लोगों ने बताया कि सिविल अस्पताल में भले ही 100 बेड का प्रावधान है लेकिन फिलवक्त यहां तीस बेड ही हैं व बाकी बेड अभी यहां लगाये जाने हैं। जवाब सुनते ही सीएम ने नाखुशी जाहिर की व अस्पताल के डाक्टरों को तलब किया लेकिन उनके जवाब से वह संतुष्ट नहीं दिखे व आगे बढ़ गये।
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