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PAK की हालत बुरी! बेरोजगारी व अनिश्चितता से युवा मानसिक रोगों के शिकार
लाहौर। आर्थिक व सामाजिक तनावों से जूझते पाकिस्तान में अनिश्चितता, बेरोजगारी, गरीबी और अवसरों की बहुत कम उपलब्धता ने पाकिस्तानी विद्यार्थियों के एक हिस्से को मानसिक रोगों का शिकार बना दिया है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने मनोवैज्ञानिकों व अन्य लोगों से बातचीत और सूत्रों से मिली जानकारियों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत पंजाब की राजधानी लाहौर के सरकारी और निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों में विद्यार्थियों को बेचैनी, अवसाद और अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं का शिकार पाया गया है।
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में विद्यार्थियों की मौत की वजहों में आत्महत्या शीर्ष पर है। एक आंकड़े के मुताबिक, बीते साल जितने विद्यार्थियों ने खुदकुशी की है, उनमें से पंजाब का हिस्सा आधे से अधिक 52.9 फीसदी का रहा है। अधिकांश छात्र शिक्षा के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। यह चिंता खाते-पीते घरों के विद्यार्थियों और गरीब घरों के विद्यार्थियों में समान रूप से पाई जा रही है।
लेकिन, गरीब विद्यार्थियों को पारिवारिक दबावों का अलग से सामना करना पड़ रहा है। अखबार ने बताया कि हॉस्टल में रहने वाले छात्रों से उसने बात की और पाया कि उनमें से अधिकांश बेहद तनाव में हैं। कई विद्यार्थियों ने बताया कि वे अपनी मानसिक उलझनों से निजात हासिल करने के लिए चिकित्सकों से दवाएं लेने लगे हैं। ऐसे विद्यार्थियों की संख्या भी काफी मिली जिन्होंने धूम्रपान शुरू कर दिया है। कुछ ड्रग्स भी लेने लगे हैं।
अखबार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में विद्यार्थियों की मौत की वजहों में आत्महत्या शीर्ष पर है। एक आंकड़े के मुताबिक, बीते साल जितने विद्यार्थियों ने खुदकुशी की है, उनमें से पंजाब का हिस्सा आधे से अधिक 52.9 फीसदी का रहा है। अधिकांश छात्र शिक्षा के बाद अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। यह चिंता खाते-पीते घरों के विद्यार्थियों और गरीब घरों के विद्यार्थियों में समान रूप से पाई जा रही है।
लेकिन, गरीब विद्यार्थियों को पारिवारिक दबावों का अलग से सामना करना पड़ रहा है। अखबार ने बताया कि हॉस्टल में रहने वाले छात्रों से उसने बात की और पाया कि उनमें से अधिकांश बेहद तनाव में हैं। कई विद्यार्थियों ने बताया कि वे अपनी मानसिक उलझनों से निजात हासिल करने के लिए चिकित्सकों से दवाएं लेने लगे हैं। ऐसे विद्यार्थियों की संख्या भी काफी मिली जिन्होंने धूम्रपान शुरू कर दिया है। कुछ ड्रग्स भी लेने लगे हैं।
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