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सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर संत और मुस्लिम दोनों राजी, मंदिर बनने की उम्मीद
अयोध्या। सर्वोच्च न्यायालय ने मस्जिद में नमाज इस्लाम में अनिवार्य नहीं बताने वाले अपने पूर्व के निर्णय पर सहमति देते हुए इस मामले को बड़ी बेंच में भेजने से मना कर दिया है। 1994 के इस्माइल फारूकी के केस की पुनर्विचार याचिका को लार्जर बेंच को सौंपने से मना करने के मामले में अयोध्या के दोनों पक्षों ने स्वागत किया है।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि शीघ्र ही सहमति से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद का विवाद निर्णय हो जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास और बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने निर्णय आने के बाद यह कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं कि हमें आसा है कि शीघ्र ही अयोध्या विवाद का भी हल होगा।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी महंत नृत्य गोपाल दास ने बताया कि मंदिर निर्माण होकर रहेगा, यह धीरे-धीरे मजबूत होता नजर आ रहा है। जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. राम विलास वेदांती ने बताया कि कोर्ट ने सही निर्णय दिया है। बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हम स्वागत करते हैं। नमाज पढऩे के लिए मस्जिद का होना बिलकुल जरूरी नहीं। नमाज तों जंगल में भी अता की जाती है। मस्जिद तो एक अच्छा स्थान मात्र है। इस निर्णय पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि रामजन्मभूमि विवाद का हल शीघ्र ही निकलेगा और देश की जनता का मानस भी यही है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि हम निर्णय का स्वागत करते हैं। अयोध्या मामले की सुनवाई आस्था की बुनियाद पर बिल्कुल नहीं होगी। दूसरी ओर,बाबरी मस्जिद के दूसरे पक्षकार हाजी महबूब ने बताया कि इस निर्णय से मैं सहमत नहीं हू क्योंकि हमारे यहां मस्जिद हो वहां नमाज पढऩे का धार्मिक रिवाज है, कोर्ट के निर्णय को हम मानते हैं।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि शीघ्र ही सहमति से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद का विवाद निर्णय हो जाएगा। श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास और बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने निर्णय आने के बाद यह कहा कि हम इस फैसले का स्वागत करते हैं कि हमें आसा है कि शीघ्र ही अयोध्या विवाद का भी हल होगा।
श्रीराम जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी महंत नृत्य गोपाल दास ने बताया कि मंदिर निर्माण होकर रहेगा, यह धीरे-धीरे मजबूत होता नजर आ रहा है। जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. राम विलास वेदांती ने बताया कि कोर्ट ने सही निर्णय दिया है। बाबरी मस्जिद के मुद्दई इकबाल अंसारी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हम स्वागत करते हैं। नमाज पढऩे के लिए मस्जिद का होना बिलकुल जरूरी नहीं। नमाज तों जंगल में भी अता की जाती है। मस्जिद तो एक अच्छा स्थान मात्र है। इस निर्णय पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि रामजन्मभूमि विवाद का हल शीघ्र ही निकलेगा और देश की जनता का मानस भी यही है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि हम निर्णय का स्वागत करते हैं। अयोध्या मामले की सुनवाई आस्था की बुनियाद पर बिल्कुल नहीं होगी। दूसरी ओर,बाबरी मस्जिद के दूसरे पक्षकार हाजी महबूब ने बताया कि इस निर्णय से मैं सहमत नहीं हू क्योंकि हमारे यहां मस्जिद हो वहां नमाज पढऩे का धार्मिक रिवाज है, कोर्ट के निर्णय को हम मानते हैं।
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