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लीथियम आयन बैटरी के विकास में अहम भूमिका निभाने पर इन्हें मिला नोबल पुरस्कार
उल्लेखनीय है कि अल्फ्रेड नोबल का जन्म स्वीडन में 21 अक्टूबर 1833 को हुआ
था। नोबल रसायन शास्त्री और इंजीनियर थे। 10 दिसंबर 1896 को इटली के सौन
रेमो में उनका निधन हुआ। युद्ध में भारी तबाही मचाने वाले अपने आविष्कारों
को लेकर नोबल काफी दुखी थे। पश्चताप करते हुए उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति
का इस्तेमाल मानव हित के लिए किए गए आविष्कारों में करने का फैसला लिया और
नोबल फाउंडेशन की स्थापना की।
उन्होंने अपनी वसीयत में हर साल भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, साहित्य और शांति के क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को पुरस्कार देने की घोषणा की। हर विजेता को करीब साढ़े चार करोड़ रुपए की राशि दी जाती है। इसके साथ 23 कैरेट सोने से बना 200 ग्राम का पदक और प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है।
उन्होंने अपनी वसीयत में हर साल भौतिकी, रसायन, चिकित्सा, साहित्य और शांति के क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को पुरस्कार देने की घोषणा की। हर विजेता को करीब साढ़े चार करोड़ रुपए की राशि दी जाती है। इसके साथ 23 कैरेट सोने से बना 200 ग्राम का पदक और प्रशस्ति पत्र भी दिया जाता है।
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