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बुलढाणा प्लान के जरिए महाराष्ट्र को पानीदार बनाने में जुटे हैं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी
नई दिल्ली। महाराष्ट्र में खासकर विदर्भ क्षेत्र सूखे के लिए जाना जाता है और किसानों की आत्महत्या की खबरें यहां से अक्सर आती रहती हैं। यानी विदर्भ यदि पानीदार हो जाए तो इस इलाके से बुरी खबरें आनी बंद हो सकती हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसके लिए एक पहल की है और इस पहल का नाम है बुलढाणा प्लान।
गडकरी ने बुलढाणा प्लान के जरिए क्षेत्र की नदियों, तालाबों की सफाई और उन्हें पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया है और इसका परिणाम भी सामने आने लगा है। उन्होंने इस काम में अपने मंत्रालय का इस्तेमाल इस तरीके से किया है कि काम भी हो जाए और सरकार के पैसे भी बच जाएं। उल्लेखनीय है कि नितिन गडकरी केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री हैं।
गडकरी ने इस योजना के बारे में मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने राजमार्ग मंत्रालय को निर्देश दिया कि राजमार्ग विस्तार के समय उनके आस-पास की सूखी नदियों और तालाबों को पुनर्जीवित किया जाए। इस क्रम में सूखा प्रभावित इलाकों में नदियों और तालाबों से निकलने वाले बालू, पत्थर, गाद आदि का इस्तेमाल सडक़ निर्माण में किया जाए।
ऐसा होने से, सडक़ निर्माण के लिए जो खनिज और सामान बाहर से पैसे खर्च कर लाए जाते थे, वे अब निर्माण क्षेत्र के पास मौजूद तालाबों और नदियों से ही मुफ्त में लिए जाने लगे हैं। गडकरी ने बताया कि इससे एक तरफ सडक़ निर्माण में आने वाली लागत की बचत हुई है, तो दूसरी तरफ तालाबों और नदियों को पुनर्जीवित करने में मदद मिल रही है।
गडकरी ने बुलढाणा प्लान के जरिए क्षेत्र की नदियों, तालाबों की सफाई और उन्हें पुनर्जीवित करने का काम शुरू किया है और इसका परिणाम भी सामने आने लगा है। उन्होंने इस काम में अपने मंत्रालय का इस्तेमाल इस तरीके से किया है कि काम भी हो जाए और सरकार के पैसे भी बच जाएं। उल्लेखनीय है कि नितिन गडकरी केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्री हैं।
गडकरी ने इस योजना के बारे में मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने राजमार्ग मंत्रालय को निर्देश दिया कि राजमार्ग विस्तार के समय उनके आस-पास की सूखी नदियों और तालाबों को पुनर्जीवित किया जाए। इस क्रम में सूखा प्रभावित इलाकों में नदियों और तालाबों से निकलने वाले बालू, पत्थर, गाद आदि का इस्तेमाल सडक़ निर्माण में किया जाए।
ऐसा होने से, सडक़ निर्माण के लिए जो खनिज और सामान बाहर से पैसे खर्च कर लाए जाते थे, वे अब निर्माण क्षेत्र के पास मौजूद तालाबों और नदियों से ही मुफ्त में लिए जाने लगे हैं। गडकरी ने बताया कि इससे एक तरफ सडक़ निर्माण में आने वाली लागत की बचत हुई है, तो दूसरी तरफ तालाबों और नदियों को पुनर्जीवित करने में मदद मिल रही है।
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