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अमृतसर : हावड़ा मेल के शौचालय में मिले बच्चे की उपचार के दौरान मौत
अमृतसर। अमृतसर के रेलवे स्टेशन पर 1 दिन के बच्चे को किसी व्यक्ति ने बड़ी ही बेरहमी से हावड़ा मेल के शौचालय में डाल दिया था और उसके गले में कपड़े की रस्सी बनाकर उसे शौचालय में धकेला गया था।
हावड़ा मेल के शौचालय में मिले बच्चे की देर रात गुरु नानक देव अस्पताल के बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर के बच्चा रोगों के यूनिट नंबर-3 में उपचार के दौरान मौत हो गई। डाक्टरों ने बच्चे के शव को जीआरपी को सौंप दिया है।
बच्चे को सबसे पहले स्टेशन के सफाईकर्मचारियों ने देखा और साबी, भारत व सन्नी ने मिलकर इसे पॉट से निकाला। उन्होंने बच्चे के पाट में फंसे होने की सूचना जीआरपी थाना को दी और पहले सिविल अस्पताल उपचार के लिए ले गए। वहां पर प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को गुरु नानक देव अस्पताल केबेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर के बच्चा रोगों के यूनिट नंबर-3 में दाखिल कराया गया था। साबी के अनुसार उसने घटना की जानकारी वीपीएसएसआर कंपनी के मालिक वेद प्रकाश शर्मा को दी थी जिन्होंने रेलवे के डिवीजनल मैनेजर से बात की और पेशकश की थी कि बच्चे को सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट करवाया जाए।
इस बच्चे के इलाज पर आने वाला सारा खर्च उन्होंने खुद उठाने की बात कही थी। डीआरएम ने रेलवे के डाक्टर अमित को शाम 6:30 बजे गुरु नानक देव अस्पताल की बेबे नानकी एंड मदर केयर सैंटर में बच्चे की जांच के लिए भेजा था, जहां पर उसका इलाज कर रहे डाक्टर नरेंद्र सिंह ने कह दिया था कि अभी बच्चे को शिफ्ट करके किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहते, क्योंकि बच्चा रूक-रूक कर सांस ले रहा था। उसे लगातार एंबुबैग से कृत्रिम सांस दिया जा रहा था। देर रात बच्चे की मौत हो गई।
बच्चे की मौत होने के बाद इसमें नवजात शिशु की हत्या की धारा को जोड़ दिया जाएगा। मामले की जांच एएसआई पवन कुमार कर रहे हैं। हावड़ा मेल में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हुए हैं, इसलिए पुलिस को यह पता लगाने में काफी कठिनाई होगी कि बच्चे को कब और किसके द्वारा पाट में फैंका गया था। पवन कुमार ने बताया कि आरपीएफ व जीआरपी दोनों ही मामले की जांच कर रही हैं।
हावड़ा मेल के शौचालय में मिले बच्चे की देर रात गुरु नानक देव अस्पताल के बेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर सैंटर के बच्चा रोगों के यूनिट नंबर-3 में उपचार के दौरान मौत हो गई। डाक्टरों ने बच्चे के शव को जीआरपी को सौंप दिया है।
बच्चे को सबसे पहले स्टेशन के सफाईकर्मचारियों ने देखा और साबी, भारत व सन्नी ने मिलकर इसे पॉट से निकाला। उन्होंने बच्चे के पाट में फंसे होने की सूचना जीआरपी थाना को दी और पहले सिविल अस्पताल उपचार के लिए ले गए। वहां पर प्राथमिक उपचार के बाद बच्चे को गुरु नानक देव अस्पताल केबेबे नानकी मदर एंड चाइल्ड केयर के बच्चा रोगों के यूनिट नंबर-3 में दाखिल कराया गया था। साबी के अनुसार उसने घटना की जानकारी वीपीएसएसआर कंपनी के मालिक वेद प्रकाश शर्मा को दी थी जिन्होंने रेलवे के डिवीजनल मैनेजर से बात की और पेशकश की थी कि बच्चे को सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में शिफ्ट करवाया जाए।
इस बच्चे के इलाज पर आने वाला सारा खर्च उन्होंने खुद उठाने की बात कही थी। डीआरएम ने रेलवे के डाक्टर अमित को शाम 6:30 बजे गुरु नानक देव अस्पताल की बेबे नानकी एंड मदर केयर सैंटर में बच्चे की जांच के लिए भेजा था, जहां पर उसका इलाज कर रहे डाक्टर नरेंद्र सिंह ने कह दिया था कि अभी बच्चे को शिफ्ट करके किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहते, क्योंकि बच्चा रूक-रूक कर सांस ले रहा था। उसे लगातार एंबुबैग से कृत्रिम सांस दिया जा रहा था। देर रात बच्चे की मौत हो गई।
बच्चे की मौत होने के बाद इसमें नवजात शिशु की हत्या की धारा को जोड़ दिया जाएगा। मामले की जांच एएसआई पवन कुमार कर रहे हैं। हावड़ा मेल में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हुए हैं, इसलिए पुलिस को यह पता लगाने में काफी कठिनाई होगी कि बच्चे को कब और किसके द्वारा पाट में फैंका गया था। पवन कुमार ने बताया कि आरपीएफ व जीआरपी दोनों ही मामले की जांच कर रही हैं।
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