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नई कार-बाइक का बीमा: 1 सितंबर से लागू होंगे नए नियम, देखें क्या किया बदलाव
इंश्योरेंस क्लेम पर किसी तरह की कानूनी समयसीमा नहीं है। थर्ड पार्टी
क्लेम से जुड़े केस को दुर्घटना होने वाली जगह, वाहन मालिक की रहनेवाली जगह
या क्लेम करनेवाले के रहने की जगह, इनमें से किसी भी एरिया में फाइल किया
जा सकता है। फॉल्ट लायबिलिटी क्लेम से जुड़े केस में बीमा की राशि असीमित
है।
इसके अलावा, इंश्योरेंस रेग्युलेटर ने भी इंश्योरेंस कंपनियों को अपने खुद के अंडरराइटिंग प्रिंसिपल्स अप्लाई करने और 1 सितंबर से लॉन्ग-टर्म प्रॉडक्ट्स का डिस्ट्रीब्यूशन शुरू करने को कहा है। कंपनियां या तो 'ओन-डैमेज' और 'थर्ड-पार्टी' को कवर करनेवाला पैकेज या फिर लॉन्ग टर्म थर्ड पार्टी और एक साल के लिए ओन डैमेज को कवर करनेवाला पैकेज ऑफर कर सकती हैं।
साभार- nbt
इसके अलावा, इंश्योरेंस रेग्युलेटर ने भी इंश्योरेंस कंपनियों को अपने खुद के अंडरराइटिंग प्रिंसिपल्स अप्लाई करने और 1 सितंबर से लॉन्ग-टर्म प्रॉडक्ट्स का डिस्ट्रीब्यूशन शुरू करने को कहा है। कंपनियां या तो 'ओन-डैमेज' और 'थर्ड-पार्टी' को कवर करनेवाला पैकेज या फिर लॉन्ग टर्म थर्ड पार्टी और एक साल के लिए ओन डैमेज को कवर करनेवाला पैकेज ऑफर कर सकती हैं।
साभार- nbt
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