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नेकचंद के जन्मदिन पर शुरू नहीं पाया रॉक गार्डन फेस-3
कुरुक्षेत्र। रॉक गार्डन के निर्माता पद्मश्री नेकचंद की ओर से निर्मित कपड़े की बची हुई कतरनों से तैयार डॉल्स और गांव का मनमोहक परिदृश्य देखने के लिए लोगों को अब साल 2017 का इंतजार करना होगा। क्योंकि रॉक गार्डन के फेज-3 का निर्माणाधीन कार्य अधर में लटका होने के कारण उसे अब नेकचंद के जन्मदिवस पर नहीं खोला जा सकेगा। जबकि देश-विदेशों में रह रहे नेकचंद को चाहने वालों को रॉक गार्डन फेज-3 में उनके हाथों से निर्मित कपड़े की डॉल्स से सजे गांव को देखने का बेसब्री से इंतजार है। रॉक गार्डन का फेस-3 पहले नेकचंद के जन्मदिन 15 दिंसबर को खोला जाना था। लेकिन काम पूरा ना होने पाने की वजह से अब ये जनवरी 2017 में खोला जा सकता है। फेज-3 का कार्य तेजी से पूरा किया जा रहा है। ताकि नेकचंद के जन्म दिवस पर नहीं तो उसे जनवरी महीने में ही खोल दिया जाए। उनके द्वारा कपड़े की कतरनों से तैयार गुड़िया, गांव का परिदृश्य फेज-3 को सबसे अधिक पसंदीदा बनाने वाला है। प्रशासन ने इस गांव को रॉक डाल्स विलेज का नाम दिया है। ये पहला ऐसा मौका होगा। जब पत्थरों के बजाय बचे हुए कपड़े, कतरनों से निर्मित डॉल्स रॉक गार्डन की शोभा बढ़ाएंगे। यूटी प्रशासन को पूरी उम्मीद है कि रॉक गार्डन पहुंचने वाला हर सैलानी नेकचंद के नजरिए और उनकी सोच का कायल होकर उन्हें सेल्यूट करना नहीं भूलेगा। राॅक गार्डन में गुडिया, खेत खलिहान, बैल, कुएं, नल, घास-फूस, चरखा और अन्य झांकियां आकर्षण का केंद्र होंगी। जहां अब तक सैलानी रॉक गार्डन के पत्थरों को निहारते नहीं थकते थे। वहीं अब उनकी दोस्ती कपड़े की गुड़िया से होगी। ये सभी गुड़िया 5 से 6 फीट की होंगी। म्यूजियम में करीब 150 डॉल्स डिस्प्ले होंगी। इन कपड़ों की आकृति में महिलाओं से लेकर पुरुष, बच्चे, गाय-बैल और साधू-संत तक दिखाई देंगे। दर्जी से बचने वाली कतरनों और वेस्ट मटीरियल से तैयार इन डॉल्स के अलावा फेज-3 में नेकचंद की साइकिल भी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनेगी। नेकचंद ने जीवन का एक लंबा इसी साइकिल का इस्तेमाल किया है। रॉक गार्डन के निर्माण में उन्होंने पत्थर ढोने के लिए इसी साइकिल का इस्तेमाल किया था।
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