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देश की उन्नति के लिए संस्कृति को सहेजना जरूरी: डाॅ. शांडिल
सोलन। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डाॅ. कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा कि समाज, प्रदेश एवं देश की उन्नति के लिए अपनी संस्कृति, परम्पराओं एवं मूल्यों को सहेजकर रखना आवश्यक है। डाॅ. शांडिल आज यहां राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के वार्षिक समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। डाॅ. शांडिल ने कहा कि भारत की संस्कृति को प्राचीन समय से ही समूचे विश्व में श्रेष्ठ एवं उच्च माना गया है। उन्होंने कहा कि देश की संस्कृति परम्पराओं एवं उच्च प्रौद्योगिकी की अधिकतर जानकारी संस्कृत भाषा में सहेजी गई है। सम्पूर्ण वांगमय एवं समृद्ध संस्कृति की पूर्ण जानकारी संस्कृत भाषा के प्रयोग से ही संभव है। सभी को जहां संस्कृत भाषा का ज्ञान होना चाहिए वहीं इसके प्रचार-प्रसार के लिए भी सतत प्रयास किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध हुआ है कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और सूचना प्रौद्योगिकी के वर्तमान युग में कम्प्यूटर के विभिन्न क्रियाकलापों में संस्कृत भाषा का प्रयोग सबसे आसान है। वर्तमान में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी संस्कृत भाषा एक लोकप्रिय विषय बनकर उभरी है। उन्होंने संस्कृत महाविद्यालयों के विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे कम से कम एक विद्यार्थी को संस्कृत भाषा का व्यावहारिक ज्ञान करवाएं ताकि प्रदेश के सभी छात्र संस्कृत भाषा में पारंगत बन सकें।
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध हुआ है कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और सूचना प्रौद्योगिकी के वर्तमान युग में कम्प्यूटर के विभिन्न क्रियाकलापों में संस्कृत भाषा का प्रयोग सबसे आसान है। वर्तमान में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में भी संस्कृत भाषा एक लोकप्रिय विषय बनकर उभरी है। उन्होंने संस्कृत महाविद्यालयों के विद्यार्थियों का आह्वान किया कि वे कम से कम एक विद्यार्थी को संस्कृत भाषा का व्यावहारिक ज्ञान करवाएं ताकि प्रदेश के सभी छात्र संस्कृत भाषा में पारंगत बन सकें।
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सोलन
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