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ISIS का नक्सलियों से कनेक्शन, सुकमा में मिला ऐसा हथियार जिसे...
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से मुठभेड़ और उन्हें मार गिराए जाने के बाद सुकमा के किस्टाराम में ग्राउंड जीरो पर पहुंचे पुलिस और सुरक्षा बलों के जवानों को एक ऐसा हथियार मिला, जिससे यह बात सामने आ रही है कि नक्सलियों को विदेशी हथियारों की भी आपूर्ति हो रही है। किस्टाराम के जंगल से सुरक्षा बलों ने जी-3 राइफल बरामद की है। जानकारी के मुताबिक, जी-3 राइफल आमतौर पर खूंखार आतंकी संगठन आईएस के लड़ाके के इस्तेमाल करते हैं। दुनिया के कई देशों में भी जी-3 राइफल का इस्तेमाल होता है।
इस हथियार से एक मिनट में पॉइंट 7.62 एमएम की अधिकतम 600 गोलियां दागी जा सकती हैं। ये गोलियां 800 मीटर प्रति सेकेंड की गति से निशाना साधती हैं। छत्तीसगढ़ सरकार हैरत में है कि आखिर ऐसा घातक हथियार नक्सलियों के हाथ कैसे लगा। अभी तक नक्सली सामान्य राइफल के अलावा एसएलआर, इंसास, कार्बाइन और पुलिस से लूटे गए भारतीय हथियार ही इस्तेमाल करते रहे हैं। संभवत: यह देश में पहली ऐसी बरामदगी है।
इससे नक्सलियों को विदेशों से मुहैया हो रहे हथियारों की ओर इशारा पुष्ट हुआ है। फिलहाल इस हथियार को सील कर जांच के लिए फोरेंसिक एक्सपर्ट को भेजा जा रहा है।
आईजी बस्तर विवेकानंद सिन्हा के मुताबिक किस्टाराम में मारे गए माओवादियों से मिले हथियार की जांच कराई जा रही है।
इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही वास्तविकता सामने आएगी। 3 मई 2018 को किस्टाराम के जंगल में सर्चिंग के दौरान पुलिस और नक्सलियों के बीच आमने-सामने की मुठभेड़ हुई थी जिसमें तीन नक्सली मारे गए थे।
मौका-ए-वारदात से इस हथियार समेत भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी। एसपी अभिषेक मीणा के मुताबिक, जर्मन मेड इस हथियार पर हेकलर एंड कोच नामक कंपनी की मुहर लगी हुई है।
जी-3 हथियार का इस्तेमाल देश का कोई भी सशस्त्र बल नहीं करता है।
इस हथियार से एक मिनट में पॉइंट 7.62 एमएम की अधिकतम 600 गोलियां दागी जा सकती हैं। ये गोलियां 800 मीटर प्रति सेकेंड की गति से निशाना साधती हैं। छत्तीसगढ़ सरकार हैरत में है कि आखिर ऐसा घातक हथियार नक्सलियों के हाथ कैसे लगा। अभी तक नक्सली सामान्य राइफल के अलावा एसएलआर, इंसास, कार्बाइन और पुलिस से लूटे गए भारतीय हथियार ही इस्तेमाल करते रहे हैं। संभवत: यह देश में पहली ऐसी बरामदगी है।
इससे नक्सलियों को विदेशों से मुहैया हो रहे हथियारों की ओर इशारा पुष्ट हुआ है। फिलहाल इस हथियार को सील कर जांच के लिए फोरेंसिक एक्सपर्ट को भेजा जा रहा है।
आईजी बस्तर विवेकानंद सिन्हा के मुताबिक किस्टाराम में मारे गए माओवादियों से मिले हथियार की जांच कराई जा रही है।
इसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही वास्तविकता सामने आएगी। 3 मई 2018 को किस्टाराम के जंगल में सर्चिंग के दौरान पुलिस और नक्सलियों के बीच आमने-सामने की मुठभेड़ हुई थी जिसमें तीन नक्सली मारे गए थे।
मौका-ए-वारदात से इस हथियार समेत भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई थी। एसपी अभिषेक मीणा के मुताबिक, जर्मन मेड इस हथियार पर हेकलर एंड कोच नामक कंपनी की मुहर लगी हुई है।
जी-3 हथियार का इस्तेमाल देश का कोई भी सशस्त्र बल नहीं करता है।
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