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करनाल की नंदी शाला और गऊ धाम बने बेसहारा पशुओं का आशियाना
करनाल। यहां की नंदी शाला और गऊ धाम बेसहारा सड़कों पर आवारा घूमने वाले पशुओं का आशियाना बने हैं। आमतौर पर आवारा पशु भूखे प्यासे सड़कों पर घूमते दिखते हैं, जिस कारण कई बार हादसे भी हो जाते हैं। कई लोग इन हादसों में अपनी जान भी गंवा चुके हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पहल पर प्रदेश सरकार की ओर से हर जिले में गऊ धाम और नंदी शाला खोलने का फैसला लिया गया। ताकि कोई भी गऊ और नंदी सड़कों पर बेसहारा न घूमें। सीएम सिटी करनाल में बनाई गई नंदी शाला और गऊ धाम एक अपने आप में मिसाल बनकर सामने आ रही है। यहां पर बेसहारा पशुओं की देखभाल करने के लिए 20 कर्मचारी रखे गए हैं ,जो पशुओं की देखभाल और उनके खानेपीने का पूरा ध्यान रखते हैं।
करनाल में बनी गऊ शाला और नंदी शाला में करीब 250 गऊ और 250 ही नंदी हैं, जिनका पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है। नगर निगम करनाल की तरफ से इन गऊ धाम और नंदी शाला को पूरा सहयोग दिया जाता है। सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को गऊ धाम और नंदी शाला तक पहुंचाया जाता है, ताकि वह भूखे प्यासे सड़कों पर आवारा न घूम सके।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पहल पर प्रदेश सरकार की ओर से हर जिले में गऊ धाम और नंदी शाला खोलने का फैसला लिया गया। ताकि कोई भी गऊ और नंदी सड़कों पर बेसहारा न घूमें। सीएम सिटी करनाल में बनाई गई नंदी शाला और गऊ धाम एक अपने आप में मिसाल बनकर सामने आ रही है। यहां पर बेसहारा पशुओं की देखभाल करने के लिए 20 कर्मचारी रखे गए हैं ,जो पशुओं की देखभाल और उनके खानेपीने का पूरा ध्यान रखते हैं।
करनाल में बनी गऊ शाला और नंदी शाला में करीब 250 गऊ और 250 ही नंदी हैं, जिनका पूरी तरह से ध्यान रखा जाता है। नगर निगम करनाल की तरफ से इन गऊ धाम और नंदी शाला को पूरा सहयोग दिया जाता है। सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को गऊ धाम और नंदी शाला तक पहुंचाया जाता है, ताकि वह भूखे प्यासे सड़कों पर आवारा न घूम सके।
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