Muharram 2018 Know all story of muharram, karbala war and imam hussain-m.khaskhabar.com
×
khaskhabar
Apr 20, 2024 4:57 pm
Location
Advertisement

इसलिए मनाते हैं मुहर्रम: यहां जानें, कर्बला में हुसैन की शहादत की पूरी कहानी

khaskhabar.com : शुक्रवार, 21 सितम्बर 2018 11:07 AM (IST)
इसलिए मनाते हैं मुहर्रम: यहां जानें, कर्बला में हुसैन की शहादत की पूरी कहानी
जयपुर। देश में आज मातम का पर्व मुहर्रम मनाया जा रहा है। मुहर्रम की 10 तारीख यानी आज के दिन ताजिये निकाले जाते हैं। एक महीने तक ताजियों को बनाया जाता है,सजाया जाता है और आज के दिन उन्हें कर्बला पहुंचकर दफना दिया जाता है। मुहर्रम का सबसे अहम दिन रोज-ए-आशूरा है। मुहर्रम की 10 तारीख सबसे अहम होती है, जिसे रोज-ए-आशूरा कहते हैं। जब बात मुहर्रम की होती है तो सबसे पहले जिक्र कर्बला का किया जाता है। आज से लगभग 1400 साल पहले तारीख-ए-इस्लाम में कर्बला की जंग हुई थी। ये जंग जुल्म के खिलाफ इंसाफ के लिए लड़ी गई थी इस जंग में पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद कर दिया गया था। इसलिए कहा जाता है इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद। मातम का यह पर्व मुख्यतया शिया समुदाय का है। वहीं सुन्नी मुस्लिम नमाज और रोजे के साथ इस महीने को मनाते हैं। जबकि कुछ सुन्नी समुदाय के लोग मजलिस और ताजियादारी भी करते हैं। हालांकि सुन्नी समुदाय में देवबंदी फिरके के लोग ताजियादारी के खिलाफ हैं।

इस्लाम की जहां से शुरुआत हुई, मदीना से कुछ दूरी पर मुआविया नामक शासक का दौर था। मुआविया के इंतकाल के बाद शाही वारिस के रूप में उनके बेटे यजीद को शाही गद्दी पर बैठने का मौका मिला। लोगों के दिलों में बादशाह यजीद का बहुत खौफ था। यजीद के नाम सुनते ही लोग कांप उठते थे।

पैगंबर मोहम्मद के वफात के बाद यजीद इस्लाम को अपने तरीके से चलाना चाहता था। जिसके लिए यजीद ने इमाम हुसैन को उसके मुताबिक चलने को कहा और खुद को उनके खलीफे के रूप में स्वीकार करने के लिए कहा। यजीद को लगता था कि अगर इमाम हुसैन उसे अपना खलीफा मान लेंगे तो इस्लाम और इस्लाम के मानने वालों पर वह राज कर सकेगा।

पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन को ये बिल्कुल मंजूर नहीं था। यजीद को हुसैन का इंकार सहन नहीं हुआ और वह हुसैन को खत्म करने की साजिश करने लगा। यजीद की बात न मानने के साथ ही हुसैन ने अपने नाना पैगंबर मोहम्मद का शहर मदीना छोड़ने का भी फैसला किया।



ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

1/5
Advertisement
Khaskhabar Rajasthan Facebook Page:
Advertisement
Advertisement