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राजस्थान के 400 से अधिक निजी आईटीआई केंद्रों की सम्बद्धता पर लटकी तलवार !
सत्येंद्र शुक्ला
जयपुर । राजस्थान की 400 से अधिक निजी आईटीआई केंद्रों की सम्बद्धता खत्म होने को लेकर तलवार लटक गई है। इन निजी आईटीआई केंद्रों में गंभीर अनियमतताएं पाई गई है, जिसे यह बार-बार चेतावनी के बाद भी सुधार नहीं सके है। इसके चलते सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग को इन आईटीआई केंद्रों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति भी रोकने के निर्देश दिए गए है।
अगर संभागवार आंकड़ा देखें तो अजमेर जिले में कुल 226 निजी आईटीआई केंद्र है, इनमें से 52 केंद्रों पर अनियमितताएं पाई गई है और इनकी सम्बद्धता रद्द हो सकती है। इसी तरह बीकानेर में 147 निजी आईटीआई केंद्र है, यहां पर 28 केंद्रों में अनियमितताएं पाई गई है। भरतपुर में 206 में से 32 आईटीआई केंद्रों पर, जयपुर में 766 आईटीआई केंंद्रों में से 217 में अनियमितताएं पाई गई है। जोधपुर में 91 आईटीआई केंद्रों में से 14 केंद्रों पर, कोटा के 205 निजी केंद्रों में से 97 आईटीआई केंद्र और उदयपुर के 60 निजी आईटीआई केंद्रों में से 16 केंद्रों की अनियमितताएं पाए जाने पर सम्बद्धता रद्द होने की तलवार लटक रही है।
श्रम आयुक्त डॉ. समित शर्मा ने बताया कि इन केंद्रों पर पांच तरह की कैटेगिरी की अनियमितताएं पाई गई है। पहली कैटेगिरी में 243 आईटीआई केंद्र वह थे, जो जांच के दौरान बंद मिले। दूसरी कैटेगिरी में 23 आईटीआई केंद्र तो खुद बंद करना चाह रहे थे। वहीं दौसा जिले 22 निजी आईटीआई केंंद्रों ने तो दादागिरी करते हुए निरीक्षण और जांच कराने से ही इनकार कर दिया। चौथी कैटेगिरी में 106 आईटीआई केंद्र ऐसे थे, जिनके पास भवन तो था, लेकिन स्टॉफ और स्टूडेंट्स का अता-पता नहीं था। वहीं पांचवी कैटेगिरी में 62 आईटीआई केंद्र ऐसे थे, जिनमें स्कूल या अन्य कार्य हो रहा था।
जांच के दौरान यह उजागर हुआ है कि आईटीआई केंद्रों के संचालक एससी-एसटी, एसबीसी, ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति की एवज में उन्हें दो वर्ष का आईटीआई की डिप्लोमा दे रहे थे। यह निजी आईटीआई केंद्र दसवीं या बारहवीं फेल छात्र-छात्रा से पहले चैक ले लेते थे और फिर छात्रवृत्ति का आवेदन करवाकर उसकी छात्रवृत्ति हड़प लेते थे। जिससे छात्र-छात्रा अपनी फीस के एवज में आईटीआई केंद्र के संचालक को अपने बैंक खाते में आई हुई छात्रवृत्ति को चेक के जरिये भुगतान कर देते थे। वहीं डायरेक्टर जनरल ट्रेनिंग के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में आईटीआई केंद्रों का रिजल्ट प्रतिवर्ष 25 से 28 फीसदी ही रहता है।
डॉ. समित शर्मा के मुताबिक 456 में से 32 आईटीआई केंद्रों के संचालकों ने अपना जवाब दे दिया गया है। लेकिन बाकी की 424 की सम्बद्धता पर तलवार लटकी हुई है।
जयपुर । राजस्थान की 400 से अधिक निजी आईटीआई केंद्रों की सम्बद्धता खत्म होने को लेकर तलवार लटक गई है। इन निजी आईटीआई केंद्रों में गंभीर अनियमतताएं पाई गई है, जिसे यह बार-बार चेतावनी के बाद भी सुधार नहीं सके है। इसके चलते सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग को इन आईटीआई केंद्रों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति भी रोकने के निर्देश दिए गए है।
अगर संभागवार आंकड़ा देखें तो अजमेर जिले में कुल 226 निजी आईटीआई केंद्र है, इनमें से 52 केंद्रों पर अनियमितताएं पाई गई है और इनकी सम्बद्धता रद्द हो सकती है। इसी तरह बीकानेर में 147 निजी आईटीआई केंद्र है, यहां पर 28 केंद्रों में अनियमितताएं पाई गई है। भरतपुर में 206 में से 32 आईटीआई केंद्रों पर, जयपुर में 766 आईटीआई केंंद्रों में से 217 में अनियमितताएं पाई गई है। जोधपुर में 91 आईटीआई केंद्रों में से 14 केंद्रों पर, कोटा के 205 निजी केंद्रों में से 97 आईटीआई केंद्र और उदयपुर के 60 निजी आईटीआई केंद्रों में से 16 केंद्रों की अनियमितताएं पाए जाने पर सम्बद्धता रद्द होने की तलवार लटक रही है।
श्रम आयुक्त डॉ. समित शर्मा ने बताया कि इन केंद्रों पर पांच तरह की कैटेगिरी की अनियमितताएं पाई गई है। पहली कैटेगिरी में 243 आईटीआई केंद्र वह थे, जो जांच के दौरान बंद मिले। दूसरी कैटेगिरी में 23 आईटीआई केंद्र तो खुद बंद करना चाह रहे थे। वहीं दौसा जिले 22 निजी आईटीआई केंंद्रों ने तो दादागिरी करते हुए निरीक्षण और जांच कराने से ही इनकार कर दिया। चौथी कैटेगिरी में 106 आईटीआई केंद्र ऐसे थे, जिनके पास भवन तो था, लेकिन स्टॉफ और स्टूडेंट्स का अता-पता नहीं था। वहीं पांचवी कैटेगिरी में 62 आईटीआई केंद्र ऐसे थे, जिनमें स्कूल या अन्य कार्य हो रहा था।
जांच के दौरान यह उजागर हुआ है कि आईटीआई केंद्रों के संचालक एससी-एसटी, एसबीसी, ओबीसी वर्ग के छात्र-छात्राओं की छात्रवृत्ति की एवज में उन्हें दो वर्ष का आईटीआई की डिप्लोमा दे रहे थे। यह निजी आईटीआई केंद्र दसवीं या बारहवीं फेल छात्र-छात्रा से पहले चैक ले लेते थे और फिर छात्रवृत्ति का आवेदन करवाकर उसकी छात्रवृत्ति हड़प लेते थे। जिससे छात्र-छात्रा अपनी फीस के एवज में आईटीआई केंद्र के संचालक को अपने बैंक खाते में आई हुई छात्रवृत्ति को चेक के जरिये भुगतान कर देते थे। वहीं डायरेक्टर जनरल ट्रेनिंग के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान में आईटीआई केंद्रों का रिजल्ट प्रतिवर्ष 25 से 28 फीसदी ही रहता है।
डॉ. समित शर्मा के मुताबिक 456 में से 32 आईटीआई केंद्रों के संचालकों ने अपना जवाब दे दिया गया है। लेकिन बाकी की 424 की सम्बद्धता पर तलवार लटकी हुई है।
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