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अगर भारत माता लिए मरना भी पड़े, तो उसे अपना सौभाग्य समझें:RSSचीफ
उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थापित भारत माता मंदिर के लोर्कापण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरआरएस) के प्रमुख मोहन भागवत के तेवर कुछ बदले से नजर आए। उन्होंने राममंदिर और हिंदुत्व का ज्यादा जिक्र किए बिना कहा कि भारत सिर्फ भूमि नहीं है, भारत माता के अखंड स्वरूप की भक्ति चाहिए, और सतत् उसी के बारे में सोचना चाहिए, अगर उसके लिए मरना भी पड़े, तो उसे अपना सौभाग्य समझना चाहिए। भागवत उज्जैन में 30 दिसंबर से ही मौजूद हैं। उन्होंने गुरुवार को भारत माता मंदिर के लोकार्पण समारोह और एक यज्ञ में हिस्सा लिया। मंदिर के लोकार्पण मौके पर भागवत ने महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए हिंदू धर्म को सत्य की सतत साधना बताया, तो भारत माता के प्रति भक्ति को जरूरी कहा।
संघ प्रमुख महात्मा गांधी का जिक्र तो करते हैं, लेकिन उनके प्रिय भजन- ईश्वर-अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान की चर्चा कभी नहीं करते, क्योंकि गांधी के इस मूलमंत्र से उनके संगठन का उद्देश्य और हित सधने वाला नहीं है। भागवत ने कहा, भारत सिर्फ धरती नहीं है, वह धरती तो है ही, हमारी माता भी है, उसके अखंड स्वरूप के प्रति भक्ति का भाव चाहिए। भक्ति का अर्थ है, उससे सतत् जुड़े रहना। उसके प्रति सतत् मन में भाव होना चाहिए। उसी के लिए हमारा जीवन है, उसके लिए मरना भी पड़े तो यह हमारा सौभाग्य है। भागवत ने आगे कहा, हमारे यहां कहा गया है कि सारी वसुधा कुटुंब है, यह सही बात है। भारत में ऐसा जीवन खड़ा करेंगे, जिसमें सारी पृथ्वी और सृष्टि को अपना परिवार मानकर भारत को होनहार सुपुत्र की तरह परम वैभव, संपन्न, समरस, संपूर्ण, षोषण मुक्त होकर अवतरित होने से संपूर्ण दुनिया का चित्र बदलेगा।
संघ प्रमुख महात्मा गांधी का जिक्र तो करते हैं, लेकिन उनके प्रिय भजन- ईश्वर-अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान की चर्चा कभी नहीं करते, क्योंकि गांधी के इस मूलमंत्र से उनके संगठन का उद्देश्य और हित सधने वाला नहीं है। भागवत ने कहा, भारत सिर्फ धरती नहीं है, वह धरती तो है ही, हमारी माता भी है, उसके अखंड स्वरूप के प्रति भक्ति का भाव चाहिए। भक्ति का अर्थ है, उससे सतत् जुड़े रहना। उसके प्रति सतत् मन में भाव होना चाहिए। उसी के लिए हमारा जीवन है, उसके लिए मरना भी पड़े तो यह हमारा सौभाग्य है। भागवत ने आगे कहा, हमारे यहां कहा गया है कि सारी वसुधा कुटुंब है, यह सही बात है। भारत में ऐसा जीवन खड़ा करेंगे, जिसमें सारी पृथ्वी और सृष्टि को अपना परिवार मानकर भारत को होनहार सुपुत्र की तरह परम वैभव, संपन्न, समरस, संपूर्ण, षोषण मुक्त होकर अवतरित होने से संपूर्ण दुनिया का चित्र बदलेगा।
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