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बागी शिंदे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-विधायकोंकी जिंदगी खतरे में, मुम्बई में नहीं लड़ सकते हैं केस
नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाले धड़े से पूछा कि वे अपने मामले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं गए? इस पर शिंदे गुट ने कहा कि उनकी जिंदगी खतरे में हैं और माहौल इसके लायक नहीं है कि वे मुम्बई में अपने मामले की पैरवी कर सकें।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे बी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने बागी विधायकों के वकील नीरज किशन कौल से पूछा कि वे बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं गए।
किशन कौल ने कहा कि शिवेसना के बागी विधायकों तथा उनके परिवार की जिंदगी खतरे में है। ऐसे प्रतिकूल माहौल में मुम्बई में मामले की पैरवी नहीं की जा सकती है।
कौल ने दलील दी कि जब महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव लंबित है तो ऐसे में वह बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई शुरू नहीं कर सकते हैं। उन्होंने इस मामले में 2016 के 'नाबम रेबिया' मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उदाहरण दिया।
कौल ने कहा कि बागी विधायकों के घरों पर हमला किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि उनके शव महाराष्ट्र पहुंचेंगे।
इस पर अवकाश पीठ ने कहा कि दलील से दो बातें सामने आईं हैं कि विधायकों की जिंदगी खतरे में है लेकिन अदालत के पास इसकी पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है और दूसरी बात यह है कि विधायकों को अयोग्य ठहराने की नोटिस का जवाब देने का समय नहीं दिया गया।
पीठ ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मसला यह है कि स्पीकर या डिप्टी स्पीकर का कार्यकाल संदेह में हो तो वह कार्रवाई जारी नहीं रख सकते हैं। कौल ने दोहराया कि जब डिप्टी स्पीकर को पद से हटाने की बात चल रही हो तो वह कार्रवाई को आगे कैसे बढ़ा सकते हैं।
इस मामले में अभी सुनवाई जारी है।
सुप्रीम कोर्ट एकनाथ शिंदे तथा अन्य बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने डिप्टी स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने के नोटिस को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। विधायकों ने अजय चौधरी को विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने के खिलाफ भी अर्जी दी है।
--आईएएनएस
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे बी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने बागी विधायकों के वकील नीरज किशन कौल से पूछा कि वे बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं गए।
किशन कौल ने कहा कि शिवेसना के बागी विधायकों तथा उनके परिवार की जिंदगी खतरे में है। ऐसे प्रतिकूल माहौल में मुम्बई में मामले की पैरवी नहीं की जा सकती है।
कौल ने दलील दी कि जब महाराष्ट्र विधानसभा के डिप्टी स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव लंबित है तो ऐसे में वह बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की कार्रवाई शुरू नहीं कर सकते हैं। उन्होंने इस मामले में 2016 के 'नाबम रेबिया' मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उदाहरण दिया।
कौल ने कहा कि बागी विधायकों के घरों पर हमला किया जा रहा है और कहा जा रहा है कि उनके शव महाराष्ट्र पहुंचेंगे।
इस पर अवकाश पीठ ने कहा कि दलील से दो बातें सामने आईं हैं कि विधायकों की जिंदगी खतरे में है लेकिन अदालत के पास इसकी पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है और दूसरी बात यह है कि विधायकों को अयोग्य ठहराने की नोटिस का जवाब देने का समय नहीं दिया गया।
पीठ ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मसला यह है कि स्पीकर या डिप्टी स्पीकर का कार्यकाल संदेह में हो तो वह कार्रवाई जारी नहीं रख सकते हैं। कौल ने दोहराया कि जब डिप्टी स्पीकर को पद से हटाने की बात चल रही हो तो वह कार्रवाई को आगे कैसे बढ़ा सकते हैं।
इस मामले में अभी सुनवाई जारी है।
सुप्रीम कोर्ट एकनाथ शिंदे तथा अन्य बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने डिप्टी स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने के नोटिस को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। विधायकों ने अजय चौधरी को विधायक दल का नेता नियुक्त किए जाने के खिलाफ भी अर्जी दी है।
--आईएएनएस
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