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मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल-२०१९, ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ’ के पद के सृजन विषय पर हुई चर्चा
चंडीगढ़। लेक क्लब में आयोजित मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल 2019 के तीसरे और आखिरी दिन आज ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ के पद के सृजन विषय पर विचार-चर्चा हुई। इस विचार-चर्चा सैशन का संचालन लेफिंनेंट जनरल रिटायर्ड अदित्या सिंह ने किया जबकि इस पैनल-चर्चा में एयर मार्शल रिटायर्ड मनमोहन बहादुर, पूर्व रक्षा सचिव शेखर दत्त, दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमिश्नर के सलाहकार ब्रिगेडियर जैविन थोमसन और लेफिनेंट जनरल रिटायर्ड संजीव लंगेर ने शिरकत की।
मौके पर चर्चा करते हुए पैनल के सदस्यों ने इस पद की स्थापना के कदम की सराहना की और कहा कि 1999 के कारगिल युद्ध के बाद साल 2001 में मंत्रियों के समूह ने इस पद की स्थापना की सिफारिश की थी। संचालक लेफिनेंट जनरल अदित्या सिंह ने कहा कि इस पद की सृजना करने का मुख्य मकसद थल सेना, जल सेना और वायुसेना के बीच बेहतर तालमेल यकीनी बनाना था। उन्होंने कहा कि ‘चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ रक्षा सम्बन्धी सलाह देने के साथ-साथ सेनाओं के अलग- अलग अंगों में तालमेल की भूमिका निभाएगा।
पूर्व रक्षा सचिव भारत सरकार शेखर दत्त ने कहा कि ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ के पर की सृजना इसलिए की गई है क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा के सम्बन्ध में तीनों सेनाओं सम्बन्धी एकीकृत सलाह सरकार को मिल सके। जिस सम्बन्ध में आने वाले दिनों में इस पद पर पहली नियुक्ति होने की उम्मीद है।
दिल्ली में ब्रिटिश हाई कमिश्नर के सलाहकार ब्रिगेडियर जैविन थोमसन ने कहा कि सेनाओं के लिए एक एकीकृत संस्था की मुख्य जरुरत होती है कि फैसले लेने के लिए एक संस्था हो और ब्रिटेन में यह प्रणाली कई सालों से चल रही है। इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन सेना के 83 साल के इतिहास का भी जिक्र किया और अपनी सेना में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के कामकाज संबंधी बताया।
लेफिनेंट जनरल संजीव लंगेर ने इस मौके पर एक प्रजेंटेशन के द्वारा संयुक्त राज्य अमरीका, चीन, फ्रांस और रूस आदि देशों की रक्षा सेनाओं में आर्मी कमांड का तुलनात्मक अध्ययन पेश किया। उसने कहा कि रक्षा मंत्रालय में सैन्य पृष्टभूमि से स्थायी नियुक्तियां की जानी चाहिए हैं। उन्होंने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सेनाओं से सम्बन्धित अंतर-सेवाओं जैसे कि बजट, साजो-सामान की खरीद, प्रशिक्षण और मिलिट्री प्लानिंग के पक्ष से अहम भूमिका निभाएगा।
एयर मार्शल मनमोहन बाहुदर ने देश में सिविल सेवाओं में अलग डिफेंस कैडर की वकालत करते हुए कहा कि इस कैडर के अफसर राष्ट्रीय सुरक्षा से सम्बन्धित सेवाओं में ही नियुक्त किये जाने चाहिए। उसने कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को देश की सुरक्षा से सम्बन्धित नीति समूहों और फौजी कमांड कमेटियों का स्थायी मेंबर बनाया जाना चाहिए और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ अंतर मंत्रालय समूहों की चर्चाओं में भी उसकी भूमिका हो।
इस मौके पर लेफिनेंट जनरल सतीश दुआ ने भी श्रोताओं के साथ इस विषय पर साझा प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत जिसकी 2 संवेदनशील सरहदें हैं और भारत के अपने समेत दोनों पड़ोसी परमाणु शक्ति संपन्न हैं तो ऐसे में हमारे मुल्क के लिए चीफ़ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। इस मौके पर श्रोताओं के सवालों के जवाब भी विशेषज्ञों ने दिए।
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