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पुलिस पर भार होगा कम! समन की आउटसोर्सिंग पर राज्यों को मनाने की कोशिश में है गृह मंत्रालय
नई दिल्ली। गृह मंत्रालय (एमएचए) राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को समन जारी करने की सेवा को आउटसोर्स करने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि उनमें से अधिकांश इस पहल को शुरू करने के लिए अनिच्छुक हैं। सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। भारत में एक लाख से ज्यादा पुलिस कर्मियों का एकमात्र कार्य देशभर में प्रतिवादी को समन देना है।
समन, एक तरह का दस्तावेज है, जिसे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने के लिए जारी किया जाता है। पुलिस की कार्य क्षमता को ज्यादा बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इस जरूरी नहीं समझे जाने वाले कार्य को स्मार्ट पुलिस कार्यक्रम या पुलिस सुधार के तहत दूसरी सरकारी या निजी एजेंसी से आउटसोर्स करने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन ज्यादातर राज्य ऐसा करने को लेकर अनिच्छुक हैं।
आईएएनएस द्वारा समीक्षा की गई हालिया स्थिति रिपोर्ट के अनुसार बिहार, मिजोरम, मेघालय, गोवा, गुजरात व महाराष्ट्र अभी भी मंत्रालय के प्रस्ताव को देख रहे हैं और अभी तक इस मुद्दे पर कोई राय नहीं बनाई है। नगालैंड, उत्तराखंड, त्रिपुरा, सिक्किम, मणिपुर, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, जम्मू-कश्मीर और पंजाब ने प्रस्ताव पर सहमति जताई है लेकिन इसे लागू करने को लेकर अनिच्छुक हैं। जबकि हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश ने इसे लागू किया है, तमिलनाडु सामुदायिक पुलिसिंग पहल के माध्यम से आंशिक रूप से इसे लागू कर रहा है।
समन, एक तरह का दस्तावेज है, जिसे न्यायाधीश या मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश होने के लिए जारी किया जाता है। पुलिस की कार्य क्षमता को ज्यादा बढ़ाने के लिए मंत्रालय ने राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इस जरूरी नहीं समझे जाने वाले कार्य को स्मार्ट पुलिस कार्यक्रम या पुलिस सुधार के तहत दूसरी सरकारी या निजी एजेंसी से आउटसोर्स करने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन ज्यादातर राज्य ऐसा करने को लेकर अनिच्छुक हैं।
आईएएनएस द्वारा समीक्षा की गई हालिया स्थिति रिपोर्ट के अनुसार बिहार, मिजोरम, मेघालय, गोवा, गुजरात व महाराष्ट्र अभी भी मंत्रालय के प्रस्ताव को देख रहे हैं और अभी तक इस मुद्दे पर कोई राय नहीं बनाई है। नगालैंड, उत्तराखंड, त्रिपुरा, सिक्किम, मणिपुर, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, जम्मू-कश्मीर और पंजाब ने प्रस्ताव पर सहमति जताई है लेकिन इसे लागू करने को लेकर अनिच्छुक हैं। जबकि हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश ने इसे लागू किया है, तमिलनाडु सामुदायिक पुलिसिंग पहल के माध्यम से आंशिक रूप से इसे लागू कर रहा है।
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