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चिकित्सा एवं जन सम्पर्क मंत्री ने दिलाया सभी को संकल्प

सीखे आसन, लगाया ध्यान
राज्य स्तरीय योग दिवस कार्यक्रम में पतंजलि योग समिति के राजस्थान प्रभारी कुलभूषण बैराठी एवं भारत स्वाभिमान ट्रस्ट जिला संयोजक नेमीचंद तंबोली एवं उनके सहयोगी प्रशिक्षकों ने लोगों को योग के विभिन्न आसन एवं उनके शारीरिक व मानसिक लाभ का प्रशिक्षण प्रदान दिया। कार्यक्रम के आरम्भ में जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने धनवंतरी के चित्र के समक्ष दीपप्रज्जवलन एवं पुष्प अर्पित कर सबके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। योगाभ्यास की शुरूआत में शिथिलीकरण के विभिन्न अभ्यास करवाए गए। इसमें ग्रीवा चालन, स्कंध, कटि एवं घुटना संचालन करवाए गए। योगाचायोर्ं ने शहरवासियों को खड़े होकर किए जाने वाले ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अद्र्ध चक्रासन, त्रिकोणासन का अभ्यास करवाकर इनसे होने वाले लाभ की जानकारी दी। इसके बाद बैठ कर किए जाने वाले दण्डासन, भद्रासन, वज्रासन, अद्र्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तानमंडूकासन एवं वक्रासन का अभ्यास कराया गया। योगाचार्यों ने उदर के बल लेट कर किए जाने वाले मकरासन, भुजंगासन एवं शलभासन तथा पीठ के बल लेट कर किए जाने वाले सेतुबन्धासन, उत्तानपादासन, अद्र्र्धहलासन, पवनमुक्तासन एवं शवासन का अभ्यास भी कराया। इसके पश्चात शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम माने जाने वाले कपालभाति, अनुलोेम-विलोम, शीतली, भ्रामरी प्राणायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराया गया। इसके पश्चात मन को संतुलित रखकर आत्मविकास करने तथा विश्व में शांति, आंनन्द तथा स्वास्थ्य के प्रचार का संकल्प किया गया। शांति पाठ के साथ योगाभ्यास का समापन हुआ।
राज्य स्तरीय योग दिवस कार्यक्रम में पतंजलि योग समिति के राजस्थान प्रभारी कुलभूषण बैराठी एवं भारत स्वाभिमान ट्रस्ट जिला संयोजक नेमीचंद तंबोली एवं उनके सहयोगी प्रशिक्षकों ने लोगों को योग के विभिन्न आसन एवं उनके शारीरिक व मानसिक लाभ का प्रशिक्षण प्रदान दिया। कार्यक्रम के आरम्भ में जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों ने धनवंतरी के चित्र के समक्ष दीपप्रज्जवलन एवं पुष्प अर्पित कर सबके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की। योगाभ्यास की शुरूआत में शिथिलीकरण के विभिन्न अभ्यास करवाए गए। इसमें ग्रीवा चालन, स्कंध, कटि एवं घुटना संचालन करवाए गए। योगाचायोर्ं ने शहरवासियों को खड़े होकर किए जाने वाले ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन, अद्र्ध चक्रासन, त्रिकोणासन का अभ्यास करवाकर इनसे होने वाले लाभ की जानकारी दी। इसके बाद बैठ कर किए जाने वाले दण्डासन, भद्रासन, वज्रासन, अद्र्ध उष्ट्रासन, उष्ट्रासन, शशकासन, उत्तानमंडूकासन एवं वक्रासन का अभ्यास कराया गया। योगाचार्यों ने उदर के बल लेट कर किए जाने वाले मकरासन, भुजंगासन एवं शलभासन तथा पीठ के बल लेट कर किए जाने वाले सेतुबन्धासन, उत्तानपादासन, अद्र्र्धहलासन, पवनमुक्तासन एवं शवासन का अभ्यास भी कराया। इसके पश्चात शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए अति उत्तम माने जाने वाले कपालभाति, अनुलोेम-विलोम, शीतली, भ्रामरी प्राणायाम एवं ध्यान का अभ्यास कराया गया। इसके पश्चात मन को संतुलित रखकर आत्मविकास करने तथा विश्व में शांति, आंनन्द तथा स्वास्थ्य के प्रचार का संकल्प किया गया। शांति पाठ के साथ योगाभ्यास का समापन हुआ।
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