Advertisement
जासूसी मामले में मायावती बोली, पूरी स्वतंत्रता और निष्पक्षता से हो जांच
लखनऊ। दुनिया के विभिन्न देशों में सरकारों द्वारा मानवाधिकार कार्यकतार्ओं, पत्रकारों और वकीलों की जासूसी कराने का मामला एक बार फिर उछला है। इसे लेकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच यथाशीघ्र कराई जाए। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने जासूसी मामले में मंगलवार को एक बाद एक ट्वीट करके निशाना साधा और कहा कि जासूसी का गंदा खेल व ब्लैकमेल आदि कोई नई बात नहीं किन्तु काफी महंगे उपकरणों से निजता भंग करके मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, अफसरों व पत्रकारों आदि की सूक्ष्म जासूसी करना अति-गंभीर व खतरनाक मामला है जिसका भण्डाफोड़ हो जाने से यहाँ देश में भी खलबली व सनसनी फैली हुई है।
उन्होंने कहा कि इसके सम्बंध में केन्द्र की बार-बार अनेकों प्रकार की सफाई, खण्डन व तर्क लोगों के गले के नीचे नहीं उतर पा रहे हैं। सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निष्पक्ष जाँच यथाशीघ्र कराई जाए ताकि आगे जिम्मेदारी तय की जा सके।
ज्ञात हो कि विभिन्न देशों में सरकारों द्वारा मानवाधिकार कार्यकतार्ओं, पत्रकारों और वकीलों की जासूसी कराने का मामला एक बार फिर गरमाया है। इंटरनेशनल मीडिया कंसोर्टियम की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 300 से ज्यादा लोगों के फोन टैप कराए गए हैं। इनमें दो केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के तीन नेता, 40 से अधिक पत्रकार, एक मौजूदा जज, सामाजिक कार्यकर्ता और कई उद्योगपति शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2018 और 2019 के बीच फोन टैप कराए गए थे।
फोन टैपिंग के लिए इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कुछ लोगों की सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई भी ठोस आधार नहीं है। पूर्व में भी व्हाट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। उन रिपोटरें का भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट में व्हाट्सऐप समेत सभी पक्षों के जरिए इसका स्पष्ट रूप से खंडन किया गया था। सरकार के मुताबिक यह रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी संस्थाओं को बदनाम करने की एक कोशिश प्रतीत होती है।
--आईएएनएस
उन्होंने कहा कि इसके सम्बंध में केन्द्र की बार-बार अनेकों प्रकार की सफाई, खण्डन व तर्क लोगों के गले के नीचे नहीं उतर पा रहे हैं। सरकार व देश की भी भलाई इसी में है कि मामले की गंभीरता को ध्यान में रखकर इसकी पूरी स्वतंत्र व निष्पक्ष जाँच यथाशीघ्र कराई जाए ताकि आगे जिम्मेदारी तय की जा सके।
ज्ञात हो कि विभिन्न देशों में सरकारों द्वारा मानवाधिकार कार्यकतार्ओं, पत्रकारों और वकीलों की जासूसी कराने का मामला एक बार फिर गरमाया है। इंटरनेशनल मीडिया कंसोर्टियम की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 300 से ज्यादा लोगों के फोन टैप कराए गए हैं। इनमें दो केंद्रीय मंत्री, विपक्ष के तीन नेता, 40 से अधिक पत्रकार, एक मौजूदा जज, सामाजिक कार्यकर्ता और कई उद्योगपति शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2018 और 2019 के बीच फोन टैप कराए गए थे।
फोन टैपिंग के लिए इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल किया है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कुछ लोगों की सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई भी ठोस आधार नहीं है। पूर्व में भी व्हाट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर भी इसी तरह के आरोप लगाए गए थे। उन रिपोटरें का भी कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सुप्रीम कोर्ट में व्हाट्सऐप समेत सभी पक्षों के जरिए इसका स्पष्ट रूप से खंडन किया गया था। सरकार के मुताबिक यह रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी संस्थाओं को बदनाम करने की एक कोशिश प्रतीत होती है।
--आईएएनएस
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
लखनऊ
उत्तर प्रदेश से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement