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पर्रिकर के बेटे उत्पल ने गोवा के पूर्व RSS प्रमुख की निंदा की
पणजी। दिवंगत मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के बड़े बेटे उत्पल पर्रिकर ने अपनी पहली राजनीतिक टिप्पणी में शनिवार को आरएसएस के पूर्व राज्य प्रमुख सुभाष वेलिंगकर की निंदा की। वेलिंगकर ने उत्पल की राजनीतिक साख पर सवाल उठाए थे और उनके पिता की आलोचना की थी। गोवा सुरक्षा मंच के प्रमुख वेलिंगर ने शुक्रवार को उत्पल की आलोचना की थी और कहा था कि यह 'वंशवादी राज' को थोपना है और उन्हें कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है।
उत्पल ने भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जब उनके पिता जिंदा थे तब वह राजनीति से दूर थे, लेकिन यदि अब पार्टी उन्हें कोई जिम्मेदारी देती है तो वह उसे स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा, "इसके पहले हम रणनीतिक रूप से दूर थे। जब एक पर्रिकर वहां है, तो दूसरे को पीछे रहना ही था। हम ठीक वही कर रहे थे। सिर्फ मेरा काम और पणजी व गोवा के लोग तय करेंगे कि मैं किस मिट्टी का बना हूं।" वेलिंगकर का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि मनोहर पर्रिकर की आलोचना करने से अक्सर आलोचकों को राष्ट्रीय मीडिया में जगह मिल जाती है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, उत्पल को पणजी से उपचुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, जिसके लिए मतदान 19 मई को होगा। उपचुनाव मनोहर पर्रिकर के 17 मार्च के निधन के कारण हो रहा है।
मनोहर पर्रिकर ने 1994 से 2014 तक पणजी सीट का प्रतिनिधित्व किया था, जब उन्हें केंद्र में रक्षामंत्री बना दिया गया था। वह 2017 में वापस राज्य की राजनीति में लौट आए और पणजी सीट से फिर से निर्वाचित हुए।
(आईएएनएस)
उत्पल ने भाजपा मुख्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि जब उनके पिता जिंदा थे तब वह राजनीति से दूर थे, लेकिन यदि अब पार्टी उन्हें कोई जिम्मेदारी देती है तो वह उसे स्वीकार करेंगे।
उन्होंने कहा, "इसके पहले हम रणनीतिक रूप से दूर थे। जब एक पर्रिकर वहां है, तो दूसरे को पीछे रहना ही था। हम ठीक वही कर रहे थे। सिर्फ मेरा काम और पणजी व गोवा के लोग तय करेंगे कि मैं किस मिट्टी का बना हूं।" वेलिंगकर का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि मनोहर पर्रिकर की आलोचना करने से अक्सर आलोचकों को राष्ट्रीय मीडिया में जगह मिल जाती है।
भाजपा सूत्रों के अनुसार, उत्पल को पणजी से उपचुनाव लड़ने के लिए कहा गया है, जिसके लिए मतदान 19 मई को होगा। उपचुनाव मनोहर पर्रिकर के 17 मार्च के निधन के कारण हो रहा है।
मनोहर पर्रिकर ने 1994 से 2014 तक पणजी सीट का प्रतिनिधित्व किया था, जब उन्हें केंद्र में रक्षामंत्री बना दिया गया था। वह 2017 में वापस राज्य की राजनीति में लौट आए और पणजी सीट से फिर से निर्वाचित हुए।
(आईएएनएस)
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