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बांसवाड़ा के चार और भीलवाड़ा के तीन स्थानों पर मैग्नीज, लाईमस्टोन, आयरन ऑरव गारनेट की नीलामी पूर्व तैयारी मार्च तक-एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल

जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस, पेट्रोलियम एवं ऊर्जा डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया है कि मार्च, 22 तक प्रदेश के बांसवाड़ा के चार और भीलवाड़ा के तीन प्रधान खनिजों के कंपोजिट लाइसेंस ब्लॉक्स का जियोलोजिकल रिपोर्ट, राजस्व रिकार्ड, सुपर इंपोजिशन और डीजीटाइजेशन का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा जिससे इसी वित्तीय वर्ष में इन ब्लॉकों की कंपोजिट लाइसेंस के लिए ई नीलामी का काम आरंभ हो सके।
एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल गुरुवार को सचिवालय में वर्चुअल बैठक के माध्यम से राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सपलोरेशन ट्रस्ट की समीक्षा बैठक ले रहे थे। उन्होंने बताया कि आरंभिक खोज में बांसवाड़ा के कालाखूंट, तांबेसरा और रुपखेड़ा में मैग्नीज के भण्डार पाए गए हैं वहीं बांसवाड़ा के ही पृथीपुरा में लाईम स्टोन के भण्डार खोजे गए हैं। इसी तरह से भीलवाड़ा के धूलखेडा-जिपिया और कजलोदिया में आयरन ऑर व सांकरिया खेड़ा में गारनेट के भण्डार मिले है। उन्होंने बताया कि नीलामी पूर्व आवश्यक तैयारियों में एक करोड़ 2 लाख के व्यय की संभावना है वहीं इससे अपफ्रंट पेमेंट सहित आगामी करीब 50 सालों में करीब 14752 करोड़ रुपए राजस्व मिलने की संभावना है। उन्होंने बताया कि आरएसएमईटी के माध्यम से प्रदेश में खोज कार्य के लिए आवष्यक संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जियोलोजि विंग की क्षमता विकास (केपेसिटी बिल्डिंग) कार्यक्रम के तहत जियोफिजिकल अनुभाग में ग्रेविटी मीटर, ईएम, आईपी, एसपी और मेग्नेटोमीटर, रिमोट सेंसिंग अनुभाग में साफ्टवेयर व आवश्यक इक्विपमेंट, पेट्रोलोजी में माइक्रोस्कोप विथ कैमरा, आवश्यक उपकरण आदि के साथ ही जरुरी विषेषज्ञ सेवाएं संविदा के आधार पर ली जाएगी। उन्होंने आरएसएमईटी की गतिविधियों में तेजी लाने के निर्देश देते हुए उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग के निर्देश दिए।
निदेशक माइंस एवं भूविज्ञान केबी पण्ड्या ने बताया कि पिछले एक साल में खनिज खोज कार्य, नीलामी हेतु ब्लॉक तैयार करने व नीलामी में तेजी लाने का परिणाम है कि राज्य में खनिज खनन कार्य को गति मिली है। उन्होंने बताया कि आरएसएमईटी प्रदेश में खोज कार्य को गति देने व आवश्यक संसाधन जुटा कर सशक्तिकरण के लिए रिवाल्विंग फण्ड है।
पण्ड्या ने बताया कि आरएसएमईटी द्वारा आगामी वर्ष की कार्ययोजना भी समय रहते तैयार की जा रही है जिससे वित्तीय वर्ष आरंभ होते ही कार्य आरंभ हो सकेगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के व्यापक सोच का ही परिणाम है कि राज्य में आरएसएमईटी का गठन हुआ और अब गति आने लगी है।
अतिरिक्त निदेशक जियोलॉजी एनपी सिंह ने प्रजेटेंशन के माध्यम से विस्तार से गतिविधियों की जानकारी दी। बैठक में उपसचिव माइंस नीतू बारुपाल, एसईजी आलोक जैन और ओएसडी सुनील वर्मा ने भी हिस्सा लिया। एमईसीएल की और से जैन और जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की और से वर्चुअली निदेशक तकनीकी एसके कुलश्रेष्ठ ने आवश्यक सुझाव दिए।
एसीएस माइंस डॉ. अग्रवाल गुरुवार को सचिवालय में वर्चुअल बैठक के माध्यम से राजस्थान स्टेट मिनरल एक्सपलोरेशन ट्रस्ट की समीक्षा बैठक ले रहे थे। उन्होंने बताया कि आरंभिक खोज में बांसवाड़ा के कालाखूंट, तांबेसरा और रुपखेड़ा में मैग्नीज के भण्डार पाए गए हैं वहीं बांसवाड़ा के ही पृथीपुरा में लाईम स्टोन के भण्डार खोजे गए हैं। इसी तरह से भीलवाड़ा के धूलखेडा-जिपिया और कजलोदिया में आयरन ऑर व सांकरिया खेड़ा में गारनेट के भण्डार मिले है। उन्होंने बताया कि नीलामी पूर्व आवश्यक तैयारियों में एक करोड़ 2 लाख के व्यय की संभावना है वहीं इससे अपफ्रंट पेमेंट सहित आगामी करीब 50 सालों में करीब 14752 करोड़ रुपए राजस्व मिलने की संभावना है। उन्होंने बताया कि आरएसएमईटी के माध्यम से प्रदेश में खोज कार्य के लिए आवष्यक संसाधन और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि जियोलोजि विंग की क्षमता विकास (केपेसिटी बिल्डिंग) कार्यक्रम के तहत जियोफिजिकल अनुभाग में ग्रेविटी मीटर, ईएम, आईपी, एसपी और मेग्नेटोमीटर, रिमोट सेंसिंग अनुभाग में साफ्टवेयर व आवश्यक इक्विपमेंट, पेट्रोलोजी में माइक्रोस्कोप विथ कैमरा, आवश्यक उपकरण आदि के साथ ही जरुरी विषेषज्ञ सेवाएं संविदा के आधार पर ली जाएगी। उन्होंने आरएसएमईटी की गतिविधियों में तेजी लाने के निर्देश देते हुए उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग के निर्देश दिए।
निदेशक माइंस एवं भूविज्ञान केबी पण्ड्या ने बताया कि पिछले एक साल में खनिज खोज कार्य, नीलामी हेतु ब्लॉक तैयार करने व नीलामी में तेजी लाने का परिणाम है कि राज्य में खनिज खनन कार्य को गति मिली है। उन्होंने बताया कि आरएसएमईटी प्रदेश में खोज कार्य को गति देने व आवश्यक संसाधन जुटा कर सशक्तिकरण के लिए रिवाल्विंग फण्ड है।
पण्ड्या ने बताया कि आरएसएमईटी द्वारा आगामी वर्ष की कार्ययोजना भी समय रहते तैयार की जा रही है जिससे वित्तीय वर्ष आरंभ होते ही कार्य आरंभ हो सकेगा। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के व्यापक सोच का ही परिणाम है कि राज्य में आरएसएमईटी का गठन हुआ और अब गति आने लगी है।
अतिरिक्त निदेशक जियोलॉजी एनपी सिंह ने प्रजेटेंशन के माध्यम से विस्तार से गतिविधियों की जानकारी दी। बैठक में उपसचिव माइंस नीतू बारुपाल, एसईजी आलोक जैन और ओएसडी सुनील वर्मा ने भी हिस्सा लिया। एमईसीएल की और से जैन और जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की और से वर्चुअली निदेशक तकनीकी एसके कुलश्रेष्ठ ने आवश्यक सुझाव दिए।
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