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बेगूसराय से गिरिराज सिंह और कन्हैया कुमार का मुख्य मुकाबला, यहां जानिए
खुद गिरिराज सिंह कह चुके हैं कि मोदी ही हर सीट पर उम्मीदवार हैं। बेगूसराय के वरिष्ठ पत्रकार श्यामा चरण मिश्र कहते हैं कि गिरिराज सिंह की भूमिहार, सवर्णो, कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग पर अच्छी पकड़ है, जबकि राजद मुस्लिम, यादव और पिछड़ी जाति के वोटरों को अपने खेमे में किए हुए है। उन्होंने कहा कि राजद अगर अपना उम्मीदवार नहीं देता, तब कन्हैया की जीत पक्की मानी जा सकती थी। उन्होंने कहा कि राजद और वामपंथी के साझा उम्मीदवार उतर जाने से भाजपा के विरोधी वोटों का बंटवारा तय माना जा रहा है, जो भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि इन तीनों दलों के पास अपना-अपना आधार वोट है। अब देखना रोचक यह होगा कि तीनों प्रत्याशी किसके गढ़ में सेंधमारी कर पाते हैं। मतों के ध्रुवीकरण को जो प्रत्याशी रोकने में सफल होगा, जीत उसी की होगी। यदि ऐसा नहीं होता है तो परिणाम अप्रत्याशित होंगे।" उल्लेखनीय है कि बेगूसराय की राजनीति जाति पर आधारित रही है। बछवाड़ा, तेघड़ा, बेगूसराय, मटिहानी, बलिया, बखरी, चेरियाबरियारपुर सात विधानसभा क्षेत्र वाले बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र में एक अनुमान के मुताबिक, 19 लाख मतदाताओं में से भूमिहार मतदाता करीब 19 फीसदी, 15 फीसदी मुस्लिम, 12 फीसदी यादव और सात फीसदी कुर्मी हैं।
यहां की राजनीति मुख्य रूप से भूमिहार जाति के आसपास घूमती है। इस बात का सबूत है कि पिछले 10 लोकसभा चुनावों में से कम से कम नौ बार भूमिहार सांसद बने हैं। इधर, सभी प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली बेगूसराय में जीत दर्ज करने के लिए कन्हैया कुमार पिछले छह महीने से लगातार दौरा कर रहे हैं। इस क्रम में कई बड़ी हस्तियां भी उनके पक्ष में उतर चुकी हैं। हालांकि, इस रोचक जंग में किसकी जीत होगी, इसका पता तो 23 मई के चुनाव परिणाम आने के बाद ही चलेगा, मगर यहां के लोगों को आशा है कि जीत किसी की भी हो, यहां से जीतने वाला अगला सांसद दिनकर के नाम पर एक विश्वविद्यालय की स्थापना इस बार जरूर करवा दे। बेगूसराय में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मतदान 29 अप्रैल को होगा। नतीजों की घोषणा 23 मई को की जाएगी।
-आईएएनएस
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