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मेरठ में 'ध्रुवीकरण' पर टिकी है सियासी दलों की आस, यहां देखें गठजोड़

khaskhabar.com : शुक्रवार, 05 अप्रैल 2019 2:40 PM (IST)
मेरठ में 'ध्रुवीकरण' पर टिकी है सियासी दलों की आस, यहां देखें गठजोड़
मेरठ । क्रांतिधरा कही जाने वाली मेरठ की धरती पर इस बार का लोकसभा चुनाव का मुकाबला बहुत दिलचस्प रहने वाला है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जीत की हैट्रिक बचाए रखने की चुनौती है तो सपा-बसपा गठबंधन को भी अपनी साख बचानी है। इसलिए पार्टियों ने जातिगत हिसाब से छांटकर प्रत्याशी उतारे हैं। भाजपा ने अपने पुराने उम्मीदवार पर दांव खेला है। कांग्रेस ने भी अग्रवाल समाज के व्यक्ति पर भरोसा जताया है, लेकिन असली मुद्दे गायब हैं और पार्टियां ध्रुवीकरण के प्रयास में जुटी हैं।

भाजपा ने सांसद राजेंद्र अग्रवाल को प्रत्याशी बनाया गया है, जबकि सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार हाजी याकूब कुरैशी हैं। कांग्रेस ने बाबू बनारसी दास के बेटे हरेंद्र अग्रवाल, शिवपाल की पार्टी प्रसपा ने नासिर अली और शिवसेना, ने आर.पी. अग्रवाल पर भरोसा जताया है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अवनीश त्यागी के मुताबिक, इस बार सभी राजनीतिक दल ध्रुवीकरण के प्रयास में हैं। पिछली बार के सांसद से स्थानीय लोग नाराज जरूर हैं, लेकिन एक धड़ा मोदी के नाम पर वोट करने को तैयार है। चुनाव इस बार यहां मोदी विरोध और मोदी के समर्थन पर है।

उन्होंने कहा कि राजेंद्र अग्रवाल वैश्य, ब्राह्मण, त्यागी ठाकुर, गुर्जर, अतिपिछड़ों आदि के सहारे चुनावी मैदान में हैं, तो हाजी याकूब कुरैशी मुस्लिम तथा अनुसूचित जाति के साहरे मैदान मारने की फिराक में हैं। उधर, हरेंद्र अग्रवाल की भी वैश्य, अति पिछड़ों, मुस्लिमों आदि पर नजर है। सभी जातियों पर प्रत्याशियों के अपने-अपने दावे हैं।

उन्होंने बताया कि गन्ना बकाया विषय पर सिर्फ बयानबाजी हो रही है। आवारा पशुओं की समस्या के बजाय यहां पशु चोरी की समस्या हैं। हलांकि योगी सरकार आने के बाद इसमें कुछ कमी आई है, फिर भी किसानों को अपने पशुओं को बचाने के लिए चौकन्ना रहना पड़ता है। महिला छेड़छाड़ का बड़ा मुद्दा है, जिसमें कुछ प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।

त्यागी और गुर्जर बिरादरी पूरी तरह से मोदी के नाम पर एकजुट है तो मुस्लिम और दलित वर्ग गठबंधन के साथ है और उन्हें यह दर्शाने में भी कोई संकोच नहीं।

मेरठ में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। मेरठ शहर सपा के पास है। इसके अलावा बाकी चारो विधानसभाओं में भाजपा के विधायक हैं।

2014 में सभी पांच विधानसभाओं से भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल को लगभग एक लाख वोट मिला था, जिसमें मुस्लिम को छोड़कर सारी जातियों ने इन पर भरोसा किया था। दलित वर्ग में जाटव को छोड़कर बाकी अन्य लोगों ने भी इन्हें वोट दिया था। इस बार यह थोड़ा कठिन है। मेरठ की कैंट विधानसभा में तो भाजपा को अच्छे मर्जिन से वोट मिलता आ रहा है। अन्य विधानसभा क्षेत्रों का रुख इस बार कुछ अलग है।

मेरठ कैंट के सामाजिक कार्यकर्ता रामकुमार ने बताया कि इस बार यहां हाईकोर्ट बेंच, स्मार्ट सिटी, जाम, कूड़ा प्रबंधन, कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण, गन्ना बकाया भुगतान जैसे अहम मुद्दे चुनावी हैं।

किठौर गांव के किसान धनीराम की मानें तो डेढ़ गुना लागत बढ़ाने की सिर्फ बातें हो रही हैं। अभी तक इसमें कुछ हासिल नहीं हुआ है। असौड़ा के मोहम्मद हनीफ कहते हैं कि पिछले चुनाव को ध्रुवीकरण की चटनी चटाई गई थी। लेकिन इस बार खेल कुछ अलग ही रहने वाला है। रमेश जाटव कहते हैं कि किसी के लिए यहां राह आसान नहीं है।

मुंडाली के सलीम कहते हैं कि चुनाव इस बात पर टिका है कि दलित और मुस्लिम समाज में कितना गठजोड़ होता है, लेकिन बेवजह का तीन तलाक मुद्दा छेड़ दिया गया है।

अमिता शर्मा कहती हैं कि कानून व्यवस्था हर चुनाव में मुद्दा रहता है, जो सीधा महिलाओं से जुड़ा है। इसमें ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।

मेरठ के मोहम्मद अतहर कहते हैं की भाजपा हर बार की तरह यहां पर सम्प्रदायिकता का जहर घोल रही है। लेकिन इस बार उसका ध्रुवीकरण का कार्ड चलने वाला नहीं है।

भाजपा की ओर लोकसभा क्षेत्र में केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा हजारों करोड़ रुपये के विकास कार्य कराने का दावा किया जा रहा है। दिल्ली- मेरठ एक्सप्रेस-वे, दिल्ली से हापुड़, मेरठ से बुलंदशहर तक का राष्ट्रीय राजमार्ग, हाईस्पीड ट्रेन शुरुआत कराना, क्षेत्रीय हवाई सेवा, अकाशवाणी केंद्र निर्माण जैसे कई कार्य भाजपा सरकार में हुए हैं। पात्रों को सरकार की योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ दिलाया गया।

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