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MP: बापू की याद में सिंहपुर बड़ा गांव के स्कूली बच्चे लगाते हैं गांधी टोपी
विद्यालय के शिक्षक संदीप शर्मा ने बताया कि किसी तरह का दस्तावेजीय प्रमाण तो नहीं है, मगर दीवार पर अंकित एक तारीख बताती है कि 3 अक्टूबर, 1945 को महात्मा गांधी इस गांव में आए थे। दीवार पर संदेश भी लिखा है उसी तारीख का। इसमें कहा गया है कि सत्य और अहिंसा के संपूर्ण पालन की भरसक कोशिश करूंगा, बापू का आशीर्वाद।
स्थानीय लोग बताते हैं कि असहयोग आंदोलन के दौरान गांधी देश में अलख जगाने निकले थे, इसी दौरान उनका यहां आना हुआ था। उसके बाद से ही गांव के लोगों ने गांधी की याद में टोपी लगाना शुरू कर दिया था। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने बच्चों को भी यह टोपी लगाने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद से ही इस विद्यालय के हर बच्चे गांधी टोपी लगाने लगे।
शर्मा कहते हैं कि गांधी टोपी स्कूल के बच्चों ने कब से लगाना शुरू किया, इसका कोई लिखित में ब्यौरा नहीं है। जो लोग गांवों में हैं, वे सभी यही बताते हैं कि जब स्कूल में पढ़ते थे, तब भी गांधी टोपी पहनकर स्कूल जाते थे। मैंने स्वयं इसी स्कूल से पढ़ाई की है, और तब भी गांधी टोपी लगाकर आता था। इस तरह गांधी टोपी लगाने का सिलसिला अरसे से चला आ रहा है।
गांधी टोपी लगाने से बच्चों में बढ़ता है आत्मविश्वास ...
राजधानी से लगभग 225 किलोमीटर दूर स्थित नरसिंहपुर जिले के इस विद्यालय में नियमित तौर पर प्रार्थना के साथ ही बापू के प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजाराम' भी गाया जाता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि गांधी की टोपी लगाने से बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है और उनमें देशभक्ति का जज्बा जागता है साथ ही गलत आदतों से दूर रहते है।
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