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मध्य प्रदेश : 13 साल में 26 दुष्कर्मियों को सुनाई जा चुकी है फांसी की सजा, लेकिन...
आखिर उनके जख्मों पर मरहम कौन और कैसे लगाएगा? या क्या कुछ
किया जाए कि ऐसे अपराध समाज में घटे ही न? अधिवक्ता जितेंद्र मिश्रा कहते
हैं, दुष्कर्म के मामलों को जल्दी निपटाने के लिए विशेष न्यायालयों की
व्यवस्था की जानी चाहिए, साथ ही निचली अदालतों, उच्च न्यायालय और सर्वोच्च
न्यायालय स्तर पर अगर ये मामले तय समय सीमा में निपटें और आरोपियों को
सुनाई गई सजा पर अमल हो तो अपराध पर अंकुश लगने की ज्यादा संभावना रहेगी।
बच्चों के अधिकारों पर काम करने वाले बाल अधिकार कार्यकर्ता प्रशांत दुबे का कहना है कि दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी देने का ऐलान किए जाने मात्र से कुछ नहीं होने वाला है। जरूरत है कि पुरुषों को संवेदनशील बनाने के लिए एक व्यवस्थित कार्यक्रम सरकार अमल में लाए। अभी जो भी अभियान व कार्यक्रम हैं, वे सब बेटियों के लिए ही हैं। पुरुषों को संवेदनशील बनाने का किसी तरह का प्रयास ही नहीं हुआ है।
(IANS)
बच्चों के अधिकारों पर काम करने वाले बाल अधिकार कार्यकर्ता प्रशांत दुबे का कहना है कि दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी देने का ऐलान किए जाने मात्र से कुछ नहीं होने वाला है। जरूरत है कि पुरुषों को संवेदनशील बनाने के लिए एक व्यवस्थित कार्यक्रम सरकार अमल में लाए। अभी जो भी अभियान व कार्यक्रम हैं, वे सब बेटियों के लिए ही हैं। पुरुषों को संवेदनशील बनाने का किसी तरह का प्रयास ही नहीं हुआ है।
(IANS)
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