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लोस 2019: क्या आप जानते हैं? आपके एक वोट की 'सरकारी कीमत' क्या होगी?

khaskhabar.com : बुधवार, 20 मार्च 2019 10:43 PM (IST)
लोस 2019: क्या आप जानते हैं? आपके एक वोट की 'सरकारी कीमत' क्या होगी?
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 नजदीक हैं। 11 अप्रेल से मतदान का चरण शुरू होगा और 23 मई को नई सरकार का आगमन। लेकिन इन सबके के बीच मतदाता अहम है। मतदाता के एक वोट पर आखिरकार सरकार का कितना पैसा खर्च होता है। ये एक बड़ा प्रश्न है।

चंडीगढ़ में 3 करोड़ 32 लाख से अधिक रुपया खर्च
आंकड़ों के अनुसार, सरकार एक वोट पर औसत 55 रुपये खर्च कर रही है। चंडीगढ़ में 6 लाख 19 हजार से अधिक वोटर हैं। इस हिसाब से देखें तो चंडीगढ़ में 3 करोड़ 32 लाख से अधिक रुपया लोकसभा चुनाव में मतदाताओं पर ही खर्च हो जाएगा।

आप यह पैसा सरकार को टैक्स के रूप में देते हैं
ऐसे में आप इस चुनावी महायज्ञ में अपनी आहुति अवश्य डालें, अन्यथा आप देश के प्रति अपने कर्तव्य के निर्वहन से तो वंचित रहेंगे ही, सरकार की ओर से लगाई गई रकम का भी नुकसान करेंगे। यह पैसा आपका ही है, क्योंकि आप यह पैसा सरकार को टैक्स के रूप में देते हैं। ऐसे में वोट न देकर आप एक तरह से अपना ही नुकसान करेंगे। इसलिए वोट देने जरूर जाएं।

वोट डलवाने के लिए सरकारें बजट लगातार बढ़ाती रही
लोकसभा चुनाव में जिस प्रकार से प्रचार-प्रसार में बेतहाशा खर्च में वृद्धि हो रही है। उसी प्रकार से सरकार वोट डलवाने के लिए अपना बजट लगातार बढ़ाती जा रही है। इस बार सरकार ने प्रति वोटर के खर्च में भारी बढ़ोतरी की है। इसकी वजह यही है कि वोटर अधिक से अधिक संख्या में वोट डालने के लिए पोलिंग बूथ पर पहुंचें। सरकार की ओर से इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। बीते चुनाव की अपेक्षा इस बार वोटर को जागरूक करने के लिए कई कैंपेन भी चलाए जा रहे हैं। संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी आईएएस अर्जुन शर्मा का कहना है कि इस बार वोट बनवाने से लेकर इन्हें पोलिंग बूथ तक ले जाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए गली-मोहल्लों से लेकर चौक तक और स्कूलों से लेकर दफ्तरों तक वोटरों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है।

आजादी से पहले चुनाव में प्रति वोट पर 50 पैसे का था खर्च
लॉ कमीशन के सूत्रों के अनुसार, आजादी के बाद 1952 में हुए पहले चुनाव में सरकार की ओर से शहर में प्रति वोटर औसतन 45 से 50 पैसा खर्च किया गया था। तब से वोटरों को जागरूक करने के साथ मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए पैसा निरंतर खर्च किया जा रहा है। 2009 के चुनाव में प्रति वोटर खर्च जहां 11 से 12 रुपये था, वहीं 16वें लोकसभा चुनाव में यह खर्च बढ़कर औसतन 40 रुपये तक पहुंच गया। प्रशासन के सूत्रों की मानें तो इस बार यह खर्च 28 प्रतिशत बढ़कर औसतन 55 रुपये पर पहुंच गया है।

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