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लॉकडाउन इफेक्ट : नहीं आ रहे बड़े व्यापारी, झारखंड के सब्जी किसान हताश
रांची। 'सुनता हूं कि सब्जी के लिए सरकार ने इस लॉकडाउन में छूट दी है। जरूरत के सामानों को ले जाने में कोई दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन जब से कोरोनावायरस को लेकर लॉकडाउन की घोषणा हुई है, तब से हमारी खेतों में सब्जियों को तोड़ने वाले मजदूर नहीं मिल रहे हैं। जो टूट रही है, उसके व्यापारी नहीं मिल रहे। एक-दो छोटे व्यापारी जरूर आते हैं।' यह कहना है चाईबासा जिले के खूंटपानी प्रखंड के शारदा गांव के किसान श्रीधर बानरा का।
कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश में 24 मार्च से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है। इससे गाड़ियों की आवाजाही बंद होने के कारण सब्जियां जिले से बाहर की बड़ी मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, व्यापारी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे खेतों में सब्जियां खराब हो रही हैं।
बानरा बताते हैं कि इस गांव में 100 किसान दलहन और सब्जी की खेती करते हैं। यहां के कई किसान सुबह साईकिल से सब्जी बाजार जरूर ले जाते हैं, लेकिन इससे खपत कम हो रही है। बड़े व्यापारी नहीं आ पा रहे हैं।
यही हाल रांची-डाल्टेनगंज मार्ग के किनारे सोंस और ब्रांबे क्षेत्र का भी है। रांची जिले के इन दो क्षेत्रों में लॉकडाउन के पूर्व सुबह बडे-बड़े व्यापारी पहुंचते थे और सब्जी ले जाते थे। आज यहां छोटे व्यापारी तो पहुंच रहे हैं, लेकिन बिहार और सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के व्यापारी नहीं पहुंच रहे हैं।
युवा किसान रमेश मेहता बताते हैं, "छोटे-मोटे दुकान वाले हमारी खेतों तक पहुंच रहे हैं और सब्जी खरीदते हैं, लेकिन जितना उत्पादन हम किसानों के पास है वह बिक नहीं पा रहा है। हरी सब्जियां सड़ रही हैं। उसे हम कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर हैं।"
उल्लेखनीय है कि कई जिला प्रशासन ने आदेश देकर सब्जियों के वाहनों को मुक्त रखा है।
इधर, आलू और प्याज की भी बिक्री प्रभावित हुई है। रांची आलू, प्याज विक्रेता संघ के उपाध्यक्ष और डोरंडा बाजार समिति के आलू, प्याज के थोक विक्रेता मदन प्रसाद आईएएनएस से कहते हैं, "आलू के आवक में किसी तरह की परेशानी नहीं है,लेकिन ब्रिकी काफी कम हो गई है। इसके अलावे मजदूरों की किल्लत हो गई है। सभी मजदूर चले गए हैं।"
बिक्री कम होने के कारणों के संबंध में पूछे जाने पर वे कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद जहां वाहनों का चलना नहीं के बराबर है, जिससे बाहर से बड़े व्यापारी यहां नहीं पहुंच रहे हैं। इसके अलावे लॉकडाउन के प्रारंभ में लोग आलू का स्टॉक जमा कर लिए हैं।
इधर, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव भी कहते हैं कि सब्जी बिक्री का चेन ही प्रभावित हो गया है। उन्होंने कहा कि मजदूर नहीं मिलने के कारण खेतों से ग्रामीण बाजारों में ही सब्जी नहीं पहुंच रही है, अगर पहुंच रही है, तो बड़े व्यापारी नहीं पहुंच रहे हैं।
सब्जी विक्रेताओं का कहना है, "सरकार ने जरूरी चीजों को आने-जाने की छूट दे रखी है, फिर भी कोई व्यापारी खेतों तक नहीं आ रहा। पहले इस सीजन में सब्जी मंडी से कई व्यापारी हमारे क्षेत्र में भिंडी, करैला, टमाटर सहित हरी सब्जियां खरीदने के लिए आते थे, लेकिन ऐसा अब संभव नहीं हो पा रहा है।"
कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश में 24 मार्च से 21 दिनों के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है। इससे गाड़ियों की आवाजाही बंद होने के कारण सब्जियां जिले से बाहर की बड़ी मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं, व्यापारी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इससे खेतों में सब्जियां खराब हो रही हैं।
बानरा बताते हैं कि इस गांव में 100 किसान दलहन और सब्जी की खेती करते हैं। यहां के कई किसान सुबह साईकिल से सब्जी बाजार जरूर ले जाते हैं, लेकिन इससे खपत कम हो रही है। बड़े व्यापारी नहीं आ पा रहे हैं।
यही हाल रांची-डाल्टेनगंज मार्ग के किनारे सोंस और ब्रांबे क्षेत्र का भी है। रांची जिले के इन दो क्षेत्रों में लॉकडाउन के पूर्व सुबह बडे-बड़े व्यापारी पहुंचते थे और सब्जी ले जाते थे। आज यहां छोटे व्यापारी तो पहुंच रहे हैं, लेकिन बिहार और सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के व्यापारी नहीं पहुंच रहे हैं।
युवा किसान रमेश मेहता बताते हैं, "छोटे-मोटे दुकान वाले हमारी खेतों तक पहुंच रहे हैं और सब्जी खरीदते हैं, लेकिन जितना उत्पादन हम किसानों के पास है वह बिक नहीं पा रहा है। हरी सब्जियां सड़ रही हैं। उसे हम कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर हैं।"
उल्लेखनीय है कि कई जिला प्रशासन ने आदेश देकर सब्जियों के वाहनों को मुक्त रखा है।
इधर, आलू और प्याज की भी बिक्री प्रभावित हुई है। रांची आलू, प्याज विक्रेता संघ के उपाध्यक्ष और डोरंडा बाजार समिति के आलू, प्याज के थोक विक्रेता मदन प्रसाद आईएएनएस से कहते हैं, "आलू के आवक में किसी तरह की परेशानी नहीं है,लेकिन ब्रिकी काफी कम हो गई है। इसके अलावे मजदूरों की किल्लत हो गई है। सभी मजदूर चले गए हैं।"
बिक्री कम होने के कारणों के संबंध में पूछे जाने पर वे कहते हैं कि लॉकडाउन के बाद जहां वाहनों का चलना नहीं के बराबर है, जिससे बाहर से बड़े व्यापारी यहां नहीं पहुंच रहे हैं। इसके अलावे लॉकडाउन के प्रारंभ में लोग आलू का स्टॉक जमा कर लिए हैं।
इधर, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव भी कहते हैं कि सब्जी बिक्री का चेन ही प्रभावित हो गया है। उन्होंने कहा कि मजदूर नहीं मिलने के कारण खेतों से ग्रामीण बाजारों में ही सब्जी नहीं पहुंच रही है, अगर पहुंच रही है, तो बड़े व्यापारी नहीं पहुंच रहे हैं।
सब्जी विक्रेताओं का कहना है, "सरकार ने जरूरी चीजों को आने-जाने की छूट दे रखी है, फिर भी कोई व्यापारी खेतों तक नहीं आ रहा। पहले इस सीजन में सब्जी मंडी से कई व्यापारी हमारे क्षेत्र में भिंडी, करैला, टमाटर सहित हरी सब्जियां खरीदने के लिए आते थे, लेकिन ऐसा अब संभव नहीं हो पा रहा है।"
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