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जेकेके में ओड़िसी नृत्य में साकार हुई कृष्ण लीलाएं और शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप
जयपुर। जवाहर कला केन्द्र के रंगायन में आज सुजाता मोहापात्रा एवं ग्रुप द्वारा पारम्परिक भारतीय शास्त्रीय नृत्यों में से एक ओड़िसी नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई। कलाकारों ने विभिन्न मुद्राओं का उपयोग करते हुए ना केवल सजावटी पैटर्न सृजित किए बल्कि हस्त संचलन एवं चेहरे की अभिव्यक्तियों से नृत्य की विषयवस्तु भी दर्शकों के समक्ष पेश की। 12-दिवसीय ‘विरसा 2019‘ के तहत इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन जेकेके द्वारा उदयपुर के पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सहयोग से किया गया।
‘मंगलाचरण‘ से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। जयदेव रचित ‘गीत गोविंदम‘ पर आधारित इस प्रस्तुति में सुजाता एवं अन्य कलाकारों द्वारा नृत्य के माध्यम से भगवान कृष्ण की प्रशंसा की गई। इसके पश्चात् कलाकारों द्वारा ‘पल्लवी‘ की प्रस्तुति दी गई। राग हंसध्वनि एवं एकताल पर आधारित इस नृत्य प्रस्तुति में कलाकारों ने गर्दन और नेत्रों द्वारा बेहद रमणीय तरीके से फूलों के खिलने को पेश किया। इसके बाद सुजाता मोहापात्रा ने अपनी एकल प्रस्तुति ‘अभिनय‘ में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को साकार किया। उनकी यह प्रस्तुति रूपक ताल और राग मिश्र काफी पर आधारित थी।
‘मंगलाचरण‘ से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। जयदेव रचित ‘गीत गोविंदम‘ पर आधारित इस प्रस्तुति में सुजाता एवं अन्य कलाकारों द्वारा नृत्य के माध्यम से भगवान कृष्ण की प्रशंसा की गई। इसके पश्चात् कलाकारों द्वारा ‘पल्लवी‘ की प्रस्तुति दी गई। राग हंसध्वनि एवं एकताल पर आधारित इस नृत्य प्रस्तुति में कलाकारों ने गर्दन और नेत्रों द्वारा बेहद रमणीय तरीके से फूलों के खिलने को पेश किया। इसके बाद सुजाता मोहापात्रा ने अपनी एकल प्रस्तुति ‘अभिनय‘ में भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को साकार किया। उनकी यह प्रस्तुति रूपक ताल और राग मिश्र काफी पर आधारित थी।
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