Advertisement
गणेश महोत्सव : मिट्टी के बाहुबली गणेश बने हैं आकर्षण, कहां... जानने के लिए पढ़ें
कोटा। कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले प्रथम पूज्य गणेशजी का आशीर्वाद सबसे पहले लिया जाता है। यू तो इन दिनों गणेश महोत्सव पूरे प्रदेश में धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन कोटा जिले के रेतवाली टिपटा स्थित लक्ष्मी निवास में गणेश महोत्सव के तहत जिला प्रशासन कोटा की ओर से जिला कलेक्टर गौरव गोयल की पहल से प्रेरित होकर डेढ़ माह के अथक प्रयासों से गणेशजी की चौक-मिट्टी की मूर्ति को अभिनव स्वरूप प्रदान किया गया है। जो आसपास के क्षेत्रवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
डेढ़ माह का अथक परिश्रम
रेतवाली टिपटा स्थित लक्ष्मी निवास में गणेश महोत्सव गत 5-6 वर्षों से निरंतर मनाया जा रहा है। मां चमण्यवती चंबल नदी के रूप में नायाब उपहार कोटा शहरवासियों को मिला हुआ है। इस नदी को दूषित होने से बचाना हम सभी का नैतिक दायित्व भी है। जिला प्रशासन कोटा की पहल से प्रेरित होकर इस बार गणेश महोत्सव में पीओपी के स्थान पर मिट्टी से निर्मित गणेशजी बनाने का निर्णय लिया गया।
छीपाबड़ौद निवासी मूर्तिकार सुरेश सोनी ने डेढ़ माह के अथक प्रयास कर बाहुबली गणेश बनाकए हैं। लकड़ी के फ्रेम पर कपड़े की लीरे बांधकर चौक-मिट्टी के संयुक्त लेप को लगाकर मूर्ति के स्वरूप को आकार दिया गया। इस कार्य में लगभग 1 माह का समय लगा। उन्होंने बताया कि मूर्ति का लेप सूखने के बाद फिनीशिंग का कार्य किया गया। इसके बाद लगभग 7 दिन में मूर्ति पर रंग-रोगन किया गया। बाद में साज-सज्जा एवं श्रृंगार कर नायाब मूर्ति तैयार की गई।
डेढ़ माह का अथक परिश्रम
रेतवाली टिपटा स्थित लक्ष्मी निवास में गणेश महोत्सव गत 5-6 वर्षों से निरंतर मनाया जा रहा है। मां चमण्यवती चंबल नदी के रूप में नायाब उपहार कोटा शहरवासियों को मिला हुआ है। इस नदी को दूषित होने से बचाना हम सभी का नैतिक दायित्व भी है। जिला प्रशासन कोटा की पहल से प्रेरित होकर इस बार गणेश महोत्सव में पीओपी के स्थान पर मिट्टी से निर्मित गणेशजी बनाने का निर्णय लिया गया।
छीपाबड़ौद निवासी मूर्तिकार सुरेश सोनी ने डेढ़ माह के अथक प्रयास कर बाहुबली गणेश बनाकए हैं। लकड़ी के फ्रेम पर कपड़े की लीरे बांधकर चौक-मिट्टी के संयुक्त लेप को लगाकर मूर्ति के स्वरूप को आकार दिया गया। इस कार्य में लगभग 1 माह का समय लगा। उन्होंने बताया कि मूर्ति का लेप सूखने के बाद फिनीशिंग का कार्य किया गया। इसके बाद लगभग 7 दिन में मूर्ति पर रंग-रोगन किया गया। बाद में साज-सज्जा एवं श्रृंगार कर नायाब मूर्ति तैयार की गई।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
कोटा
राजस्थान से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement