Advertisement
कानपुर : वायु और ध्वनि प्रदूषण ने छीना चैन, जानवरों का भी घुट रहा दम
कानपुर। उत्तर प्रदेश में इन दिनों प्रदूषण ने कहर बरपा रखा है। इससे इंसान तो पहले ही परेशान थे, अब जानवरों के लिए भी काफी मुश्किल हो रही है। ताजा उदाहरण कानपुर के प्राणी उद्यान का है, जहां वायु प्रदूषण का असर वन्य जीवों पर भरपूर पड़ रहा है। कानपुर की आबोहवा इतनी खराब हो गई है कि इससे जानवरों का दम घुट रहा है। प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप से जानवरों के अंदर धूल के कण जम रहे हैं।
कानपुर के जानवरों को सबसे ज्यादा दिक्कत वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से हो रही है। आम इंसान तो धूल से बचने के लिए मास्क लगा लेता है लेकिन जानवर तो मास्क भी नहीं लगा सकते हैं। जितने भी जानवर इन दिनों मर रहे हैं सबके फेफड़ों में धूल के कण और कार्बन की मात्रा काफी पाई जा रही है, इसी वजह से इनकी मौत हो रही है।
कानपुर के प्राणी उद्यान में तैनात पशु चिकित्साधिकारी आरके सिंह ने आईएएनएस को बताया कि प्रदूषण का असर कभी डायरेक्ट नहीं होता है। यह जैसे मनुष्य के शरीर में असर करता है, ठीक उसी प्रकार जानवरों के शरीर में धीरे-धीरे करता है। लेकिन हाल-फिलहाल प्रदूषण के कारण हमारे यहां कोई मौत नहीं हुई है। पिछले माह हमारे यहां एक बाघ अपनी आयु पूरी करके मरा था। उसके पोस्टमार्टम में उसके फेफड़े में धूल के अलावा अन्य कई बाहरी तत्व चिपके मिले थे।
इससे पहले जो मरे थे उनके भी शरीर में प्रदूषण का असर था। उन्होंने बताया कि बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण पर्वतीय भालू और गैंडे के जोड़े प्रजनन से दूर हो गए हैं। यह प्रजनन के लिए शांति पसंद करते हैं। लेकिन ध्वनि ज्यादा होने के कारण यह लोग अपने साथी से दूर हो गए हैं। शांति में इनके शरीर में अलग हार्मोन्स रिलीज होते हैं, जो प्रजनन में सहायक होते हैं, लेकिन शोर के कारण इनका रिसाव रुक जाता है।
कानपुर के जानवरों को सबसे ज्यादा दिक्कत वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से हो रही है। आम इंसान तो धूल से बचने के लिए मास्क लगा लेता है लेकिन जानवर तो मास्क भी नहीं लगा सकते हैं। जितने भी जानवर इन दिनों मर रहे हैं सबके फेफड़ों में धूल के कण और कार्बन की मात्रा काफी पाई जा रही है, इसी वजह से इनकी मौत हो रही है।
कानपुर के प्राणी उद्यान में तैनात पशु चिकित्साधिकारी आरके सिंह ने आईएएनएस को बताया कि प्रदूषण का असर कभी डायरेक्ट नहीं होता है। यह जैसे मनुष्य के शरीर में असर करता है, ठीक उसी प्रकार जानवरों के शरीर में धीरे-धीरे करता है। लेकिन हाल-फिलहाल प्रदूषण के कारण हमारे यहां कोई मौत नहीं हुई है। पिछले माह हमारे यहां एक बाघ अपनी आयु पूरी करके मरा था। उसके पोस्टमार्टम में उसके फेफड़े में धूल के अलावा अन्य कई बाहरी तत्व चिपके मिले थे।
इससे पहले जो मरे थे उनके भी शरीर में प्रदूषण का असर था। उन्होंने बताया कि बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के कारण पर्वतीय भालू और गैंडे के जोड़े प्रजनन से दूर हो गए हैं। यह प्रजनन के लिए शांति पसंद करते हैं। लेकिन ध्वनि ज्यादा होने के कारण यह लोग अपने साथी से दूर हो गए हैं। शांति में इनके शरीर में अलग हार्मोन्स रिलीज होते हैं, जो प्रजनन में सहायक होते हैं, लेकिन शोर के कारण इनका रिसाव रुक जाता है।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
कानपुर
उत्तर प्रदेश से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement