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जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में भव्य संगीत समारोह का आयोजन

जोधपुर। राजस्थान के जोधपुर में शहर के भीड़भाड़ से दूर एक ऊंची पहाड़ी पर मेहरानगढ़ का किला बसा है। 15वीं शताब्दी में एक राजपूत राजघराने के शासनकाल में इस भव्य किले का निर्माण किया गया था जो आज एक संगीत समारोह का गढ़ है जो राज्य की लोक संगीत की परंपरा को आज भी विश्व के सामने बनाए हुए हैं। मेहरानगढ़ किले को जोधपुर की शान भी कहा जाता है।
जोधपुर आरआईएफएफ (राजस्थान इंटरनेशनल फोक फेस्टिवल), एक पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन 14 अक्टूबर तक इसके विभिन्न भागों में किया जा रहा है, जो राठौड़ राजवंश की स्थिति व इसके आधार को जीवंत करता है जिसके वर्तमान प्रमुख महाराजा गज सिंह द्वितीय हैं। वे इस कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक भी हैं। इस 500 मीटर लंबे किले का निर्माण राव जोधा द्वारा किया गया था जिनका शासनकाल 1438-89 तक रहा।
इनके बाद इन्हीं के नाम पर जोधपुर शहर का नाम रखा गया। हर साल इस संगीत समारोह के दौरान भोर होने के बाद जब यह किला सूरज की रोशनी से जगमगा उठता है तो किले में चारों ओर मारवाड़ के मेघवाल जैसे राजस्थानी लोक संगीतकारों की धुनें गूंजने लगती है। ये (मारवाड़ के मेघवाल) पारंपरिक रूप से बुनकर होते हैं, लेकिन साथ ही साथ ये लोक साहित्य से भी समृद्ध है जिन्हें वे काफी लंबे समय से आज तक संजोए हुए हैं।
जोधपुर आरआईएफएफ (राजस्थान इंटरनेशनल फोक फेस्टिवल), एक पांच दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन 14 अक्टूबर तक इसके विभिन्न भागों में किया जा रहा है, जो राठौड़ राजवंश की स्थिति व इसके आधार को जीवंत करता है जिसके वर्तमान प्रमुख महाराजा गज सिंह द्वितीय हैं। वे इस कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक भी हैं। इस 500 मीटर लंबे किले का निर्माण राव जोधा द्वारा किया गया था जिनका शासनकाल 1438-89 तक रहा।
इनके बाद इन्हीं के नाम पर जोधपुर शहर का नाम रखा गया। हर साल इस संगीत समारोह के दौरान भोर होने के बाद जब यह किला सूरज की रोशनी से जगमगा उठता है तो किले में चारों ओर मारवाड़ के मेघवाल जैसे राजस्थानी लोक संगीतकारों की धुनें गूंजने लगती है। ये (मारवाड़ के मेघवाल) पारंपरिक रूप से बुनकर होते हैं, लेकिन साथ ही साथ ये लोक साहित्य से भी समृद्ध है जिन्हें वे काफी लंबे समय से आज तक संजोए हुए हैं।
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