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बिहार के बड़े दलों के लिए झारखंड में खोई प्रतिष्ठा वापस पाना बना चुनौती
उल्लेखनीय है कि राजद और जद (यू) को झारखंड के मतदाताओं ने पिछले
चुनाव में पूरी तरह नकार दिया था। वर्ष 2014 में हुए चुनाव में जद (यू) 11
सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जबकि राजद ने 19 और लोजपा ने एक सीट पर अपने
उम्मीदवार उतारे थे।
ऐसा नहीं कि राजद और जद (यू) को यहां के मतदाताओं ने पसंद नहीं किया है। झारखंड बनने के बाद पहली बार 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में जद (यू) के छह और राजद के सात प्रत्याशी विजयी हुए थे।
वर्ष 2009 में हुए चुनाव में जद (यू) ने 14 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से दो जबकि राजद ने पांच सीटों पर विजय दर्ज कर अपनी वजूद बचा ली थी।
लोजपा झारखंड में अब तक खाता नहीं खोल पाई है। दीगर बात है कि प्रत्येक चुनाव में उसके प्रत्याशी भाग्य आजमाते रहे हैं।
ऐसा नहीं कि राजद और जद (यू) को यहां के मतदाताओं ने पसंद नहीं किया है। झारखंड बनने के बाद पहली बार 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में जद (यू) के छह और राजद के सात प्रत्याशी विजयी हुए थे।
वर्ष 2009 में हुए चुनाव में जद (यू) ने 14 उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से दो जबकि राजद ने पांच सीटों पर विजय दर्ज कर अपनी वजूद बचा ली थी।
लोजपा झारखंड में अब तक खाता नहीं खोल पाई है। दीगर बात है कि प्रत्येक चुनाव में उसके प्रत्याशी भाग्य आजमाते रहे हैं।
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