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...और धर्म के मार्ग पर चलने वाली महिला ने करवा दिए दुख दूर
जयपुर। महिला जागृति संघ की ओर से दशलक्षण पर्व के अवसर पर 22 सितंबर को बड़े दीवान जी के मंदिर मनिहारों का रास्ता में शशि जैन द्वारा लिखित एवं राजेंद्र शर्मा राजू द्वारा निर्देशित ‘सच्ची सहेली’ नाटक का मंचन किया गया।
नाटक में बताया गया कि धर्म की राह पर चलने पर दुखों का निवारण होता है, इंसान धन कमाने के बाद धर्म के मार्ग को भूल जाता है और जब उस पर दुख आते हैं तो ईश्वर की शरण में जाता है। ऐसी ही कहानी है यह। इसमें 4 सहेलियां दोस्त होती हैं। उनमें एक सहेली जो धर्म मार्ग पर चलती है और धर्म को महत्व देती है, उससे उसकी सहेलियां बोरियत महसूस करती हैं। एक सहेली पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है तो बाकी सहेलियां उसकी मदद करने से भी मुंह चुराने लगती हैं। ऐसे समय में धर्म के मार्ग पर चलने वाली सहेली ने उसकी मदद की और जब वो उसके साथ रहने लगी तो वह भी धर्म के मार्ग पर चलने लगी। उसके दुखों का निवारण हुआ और वापस उसे खोई हुई संपत्ति मिली। उसकी प्रतिष्ठा वापस उसे मिल गई।
नाटक में जिन महिला कलाकारों ने अभिनय किया, उनमें शशि जैन, बेला जैन, राजकुमारी जैन, रेणु बाजी, निर्मला गंगवाल, रेखा जैन, निर्मला बैद, सुनीता जैन काला, तारमणि ने अपने अभिनय से की छाप छोड़ी। नाटक की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इसमें पुरुषों के पात्र भी महिलाओं ने ही निभाए हैं। प्रारंभ में महिला जागृति संघ की अध्यक्ष विमला गोधा ने अतिथियों का स्वागत किया और अंत में संघ की शारदा सोनी ने सभी का आभार जताया।
नाटक में बताया गया कि धर्म की राह पर चलने पर दुखों का निवारण होता है, इंसान धन कमाने के बाद धर्म के मार्ग को भूल जाता है और जब उस पर दुख आते हैं तो ईश्वर की शरण में जाता है। ऐसी ही कहानी है यह। इसमें 4 सहेलियां दोस्त होती हैं। उनमें एक सहेली जो धर्म मार्ग पर चलती है और धर्म को महत्व देती है, उससे उसकी सहेलियां बोरियत महसूस करती हैं। एक सहेली पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है तो बाकी सहेलियां उसकी मदद करने से भी मुंह चुराने लगती हैं। ऐसे समय में धर्म के मार्ग पर चलने वाली सहेली ने उसकी मदद की और जब वो उसके साथ रहने लगी तो वह भी धर्म के मार्ग पर चलने लगी। उसके दुखों का निवारण हुआ और वापस उसे खोई हुई संपत्ति मिली। उसकी प्रतिष्ठा वापस उसे मिल गई।
नाटक में जिन महिला कलाकारों ने अभिनय किया, उनमें शशि जैन, बेला जैन, राजकुमारी जैन, रेणु बाजी, निर्मला गंगवाल, रेखा जैन, निर्मला बैद, सुनीता जैन काला, तारमणि ने अपने अभिनय से की छाप छोड़ी। नाटक की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि इसमें पुरुषों के पात्र भी महिलाओं ने ही निभाए हैं। प्रारंभ में महिला जागृति संघ की अध्यक्ष विमला गोधा ने अतिथियों का स्वागत किया और अंत में संघ की शारदा सोनी ने सभी का आभार जताया।
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