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मदर एट नाइनटीन के बुक रीडिंग सेशन में दिखे जयपुर बुक लवर्स
जयपुर । जीवन में इर्द-गिर्द ऐसी कितनी ही कहानियां देखने को मिलती है जिसमें महिलाओं के साथ शोषण एक आम मुद्दा होता रहा है।
ऐसी ही कुछ कहानियों से प्रेरित होकर मैंने अपनी ये किताब 'मदर एट नाइनटीन' लिखने का सोचा, ये कहना था युवा लेखिका गुलिस्ता चौधरी का। चैम्प रीडर्स एसोसिएशन के द्वारा और फ्रीडम हाउस के सहयोग से रविवार को सी- स्कीम स्थित एक कैफे में 'मदर एट नाइनटीन' बुक लॉन्च और रीडिंग सेशन आयोजित किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि सुनयना नागपाल, एच.के शर्मा भी उपस्थित रहे।
अपनी किताब के बारे में 23 वर्षीय लेखिका गुलिस्ता कहती हैं कि मैंने कुछ समय पहले अख़बार में पढ़ा था की एक रेप पीड़ित छोटी उम्र लड़की ने बेटी को जन्म दिया। उसके जीवन को लेकर बड़ी उत्सुकता ने मुझे उसके और उसके जैसे और लोगों के बारे में ज्यादा जानने का मौका दिया। उस दौरान उन सभी भावों को एक किताब में लिखने का मन किया, सभी कहानियों को फिक्शनल बनाते हुए मैंने 'मदर एट नाइनटीन' लिखी। मेरी किताब एक महिला किरदार आशना कुरैशी के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमें वो 19 वर्ष की कुंवारी मां बनती है।
किताब में बताया गया है कि किस तरह एक छोटी उम्र की लड़की, जिसकी शिक्षा और दुनिया को जानने की समझ ना के बराबर होते हुए भी वो एक नन्हीं जान के पालन पोषण का भार अपने कंधे पर लेती है। बुक में ऐसी ही दो कहानियों के बारे में 23 चैप्टर्स है, जिसमें पुरुष प्रधान दुनिया और धुंधलाता महिला शक्तिकरण का नमूना देखने को मिलेगा।
ऐसी ही कुछ कहानियों से प्रेरित होकर मैंने अपनी ये किताब 'मदर एट नाइनटीन' लिखने का सोचा, ये कहना था युवा लेखिका गुलिस्ता चौधरी का। चैम्प रीडर्स एसोसिएशन के द्वारा और फ्रीडम हाउस के सहयोग से रविवार को सी- स्कीम स्थित एक कैफे में 'मदर एट नाइनटीन' बुक लॉन्च और रीडिंग सेशन आयोजित किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि सुनयना नागपाल, एच.के शर्मा भी उपस्थित रहे।
अपनी किताब के बारे में 23 वर्षीय लेखिका गुलिस्ता कहती हैं कि मैंने कुछ समय पहले अख़बार में पढ़ा था की एक रेप पीड़ित छोटी उम्र लड़की ने बेटी को जन्म दिया। उसके जीवन को लेकर बड़ी उत्सुकता ने मुझे उसके और उसके जैसे और लोगों के बारे में ज्यादा जानने का मौका दिया। उस दौरान उन सभी भावों को एक किताब में लिखने का मन किया, सभी कहानियों को फिक्शनल बनाते हुए मैंने 'मदर एट नाइनटीन' लिखी। मेरी किताब एक महिला किरदार आशना कुरैशी के इर्द-गिर्द घूमती है जिसमें वो 19 वर्ष की कुंवारी मां बनती है।
किताब में बताया गया है कि किस तरह एक छोटी उम्र की लड़की, जिसकी शिक्षा और दुनिया को जानने की समझ ना के बराबर होते हुए भी वो एक नन्हीं जान के पालन पोषण का भार अपने कंधे पर लेती है। बुक में ऐसी ही दो कहानियों के बारे में 23 चैप्टर्स है, जिसमें पुरुष प्रधान दुनिया और धुंधलाता महिला शक्तिकरण का नमूना देखने को मिलेगा।
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