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जैन मुनि विप्रण सागर ने की फंदा लगाकर आत्महत्या
भागलपुर। नाथनगर के कबीरपुर स्थित एक जैन मंदिर के कमरे में मुनि श्री विप्रण सागरजी महाराज ने पंखे से फंदा लगा कर आत्महत्या कर ली है। महाराज जैन मंदिर में करीब छह महीने पहले आए थे और चातुर्मास के कारण रुक गए थे। दीपावली के दौरान चातुर्मास समाप्त होने के बाद दूसरी जगह के लिए निकलने का कार्यक्रम था। वे गिरनार आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य मेरुभूषण सागर महाराज के शिष्य थे।
मुनिजी का पार्थिव शरीर मंगलवार शाम को जैन मंदिर के रूम नंबर तीन में पाया गया। इस कमरे के सामने वाला दरवाजा अंदर से बंद और पिछला दरवाजा सिर्फ खुला हुआ था। मिली जानकारी के अनुसार ,प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें सुसाइड नोट पर मुनिजी का हस्ताक्षर नहीं है। लोगों ने बताया कि मुनिजी अंदर से काफी मजबूत थे। लोगों में चर्चा बनी हुई है कि साधु पूरे विश्व के लिए शांति चाहता है, फिर वे स्वयं इतने अशांत कैसे हो गए हैं।
मुनिजी का पार्थिव शरीर मंगलवार शाम को जैन मंदिर के रूम नंबर तीन में पाया गया। इस कमरे के सामने वाला दरवाजा अंदर से बंद और पिछला दरवाजा सिर्फ खुला हुआ था। मिली जानकारी के अनुसार ,प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें सुसाइड नोट पर मुनिजी का हस्ताक्षर नहीं है। लोगों ने बताया कि मुनिजी अंदर से काफी मजबूत थे। लोगों में चर्चा बनी हुई है कि साधु पूरे विश्व के लिए शांति चाहता है, फिर वे स्वयं इतने अशांत कैसे हो गए हैं।
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