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मंत्री आशु इंडियन जूट मिल्ज़ एसो.(इजमा) के प्रतिनिधियों से मिले, बारदाने की सप्लाई में तेज़ी लाने के निर्देश
चंडीगढ़। पंजाब राज्य के खाद्य एवं सिविल सप्लाई मंत्री भरत भूषण आशु द्वारा रबी की फसल की ढुलाई के लिए जरुरी बारदाने की सप्लाई की समीक्षा करने के लिए और सप्लाई में तेज़ी लाने के लिए कोलकाता में दौरा किया गया। जिसके दौरान उन्होंने इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (इजमा) के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंंग की गई। इस अवसर पर उनके साथ अनिंदितामित्रा, डायरेक्टर, खाद्य और सप्लाइज उपस्थित थे। इंडियन जूट मिल्ज एसोसिएशन (इजमा) के प्रतिनिधियों के साथ मीटिंंग की गई जिसमें इजमा के प्रतिनिधियों को राज्य की खरीद एजेंसियों द्वारा आर्डर की गई बारदाने की सप्लाई पंजाब राज्य की खरीद एजेंसियों को पहल के आधार पर करने के लिए कहा गया जिससे रबी सीजन 2020 -21 के लिए समय पर बारदाने का प्रबंध किया जा सके।
इस अवसर पर बारदाने की खरीद की प्रक्रिया को और ज़्यादा सुचारू बनाने सम्बन्धी भी विचार- विमर्श हुआ। मीटिंग के दौरान आशु ने कहा "राज्य की खरीद एजेंसियों द्वारा बारदाने की सप्लाई के लिए सप्लाई से 50 -60 दिन पहले पैसा जूट कंपनियों के बैंक खाते में जमा करवा दिया जाता है जिससे राज्य सरकार को ब्याज के रूप में 2.50 प्रतिशत से 3.00 प्रतिशत ब्याज बैंकों को देना पड़ता है जबकि जूट मिलर्ज़ कंपनियां बैंक से इस जमा राशि पर 9.25 प्रतिशत 10.30 प्रतिशत प्रति महीना ब्याज लेती हैं, जिससे राज्य सरकार को 7.5 प्रतिशत ब्याज का सीधे रूप में नुकसान होता है। जिससे राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है। इसलिए राज्य की खरीद एजेंसियों का वित्तीय नुकसान घटाने के लिए त्रिपक्षीय समझौता करने की बात की गई, जिसमें जूट कमिश्नर ऑफ इंडिया, बैंक और राज्य खरीद एजेंसियां शामिल होंगी और यह बारदाने की खरीद सम्बन्धी अदायगी एसकरो अकांऊट ( बांड या डीड रूप में) में से जूट मिलर्ज़ के खाते में हो जाएंगी।"
मंत्री आशु ने इस मौके पर बीते वर्षों के दौरान बारदाने की सप्लाई से संबंधित जूट कम्पनीज़ की तरफ से पंजाब राज्य की बकाया पड़ी 75 करोड़ में से 30 करोड़ की बकाया राशि जारी करवाने के लिए मसला उठाया और यह राशि जल्द जारी करने के लिए कहा।
इस अवसर पर बारदाने की खरीद की प्रक्रिया को और ज़्यादा सुचारू बनाने सम्बन्धी भी विचार- विमर्श हुआ। मीटिंग के दौरान आशु ने कहा "राज्य की खरीद एजेंसियों द्वारा बारदाने की सप्लाई के लिए सप्लाई से 50 -60 दिन पहले पैसा जूट कंपनियों के बैंक खाते में जमा करवा दिया जाता है जिससे राज्य सरकार को ब्याज के रूप में 2.50 प्रतिशत से 3.00 प्रतिशत ब्याज बैंकों को देना पड़ता है जबकि जूट मिलर्ज़ कंपनियां बैंक से इस जमा राशि पर 9.25 प्रतिशत 10.30 प्रतिशत प्रति महीना ब्याज लेती हैं, जिससे राज्य सरकार को 7.5 प्रतिशत ब्याज का सीधे रूप में नुकसान होता है। जिससे राज्य सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है। इसलिए राज्य की खरीद एजेंसियों का वित्तीय नुकसान घटाने के लिए त्रिपक्षीय समझौता करने की बात की गई, जिसमें जूट कमिश्नर ऑफ इंडिया, बैंक और राज्य खरीद एजेंसियां शामिल होंगी और यह बारदाने की खरीद सम्बन्धी अदायगी एसकरो अकांऊट ( बांड या डीड रूप में) में से जूट मिलर्ज़ के खाते में हो जाएंगी।"
मंत्री आशु ने इस मौके पर बीते वर्षों के दौरान बारदाने की सप्लाई से संबंधित जूट कम्पनीज़ की तरफ से पंजाब राज्य की बकाया पड़ी 75 करोड़ में से 30 करोड़ की बकाया राशि जारी करवाने के लिए मसला उठाया और यह राशि जल्द जारी करने के लिए कहा।
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