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उद्योग विभाग शिल्प शाला में 24 जून से निःशुल्क सिखाएंगे हस्तशिल्प के गुर
जयपुर। प्रदेश की हस्त व शिल्पकला को संरक्षित व सवंद्रि्धत करने के लिए बच्चोंं, युवाओं, युवतियों और परंपरागत शिल्प से जुड़ने के इच्छुक कलाकारों को 24 जून से आयोजित शिल्प शाला में हस्तशिल्प के गुर सिखाएं जाएंगे।
उद्योग आयुक्त डॉ. कृष्णा कांत पाठक ने बताया कि पांच दिवसीय शिल्प शाला का आयोजन भारतीय शिल्प संस्थान के सहयोग से उद्योग विभाग के उद्यम प्रोत्साहन संस्थान द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दस वर्ष और इससे अधिक आयुवर्ग के कोई भी इच्छुक भारतीय शिल्पकला संस्थान की वेबसाइट पर ऑनलाईन या सीधे ही भारतीय शिल्प संस्थान या उद्योग विभाग में 21 जून तक कार्यालय समय में पंजीयन करा सकते हैं। शिल्प शाला का आयोजन झालाणा स्थित भारतीय शिल्प संस्थान में किया जाएगा। यह पांच दिवसीय शिल्प शाला निःशुल्क होगी तथा केवल 200 रु. प्रति प्रतिभागी पंजीयन शुल्क देना होगा।
डॉ. पाठक ने शुक्रवार को भारतीय शिल्प कला संस्थान व उद्यम प्रोत्साहन संस्थान के अधिकारियों के साथ बैठक में शिल्प शिक्षा के संभावित शिल्पों का चयन करते हुए बताया कि पांच दिवसीय शिल्प शिक्षा के लिए पहले चरण में 14 शिल्पों का चयन किया गया है इनमें लाख, मीनाकारी, टाई एण्ड डाई (बंधेज/लहरिया), मिट्टी के बर्तन/टेराकोटा, मिनियेचर पेंटिंग, पेपर मैशे, ब्लाक प्रिटिंग, तारकशी, उस्ता कला, चर्म शिल्प, ब्लू पॉटरी, डेको पेज आर्ट, लैण्डस्केपिंग पेंटिंग और मेंहदी कला आदि को शामिल किया है। उन्होंने बताया कि शिल्प शाला में विशेषज्ञों द्वारा संबंधित शिल्प की बारिकियों को व्यावहारिक रुप से समझाया जाएगा।
उद्योग आयुक्त डॉ. कृष्णा कांत पाठक ने बताया कि पांच दिवसीय शिल्प शाला का आयोजन भारतीय शिल्प संस्थान के सहयोग से उद्योग विभाग के उद्यम प्रोत्साहन संस्थान द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि दस वर्ष और इससे अधिक आयुवर्ग के कोई भी इच्छुक भारतीय शिल्पकला संस्थान की वेबसाइट पर ऑनलाईन या सीधे ही भारतीय शिल्प संस्थान या उद्योग विभाग में 21 जून तक कार्यालय समय में पंजीयन करा सकते हैं। शिल्प शाला का आयोजन झालाणा स्थित भारतीय शिल्प संस्थान में किया जाएगा। यह पांच दिवसीय शिल्प शाला निःशुल्क होगी तथा केवल 200 रु. प्रति प्रतिभागी पंजीयन शुल्क देना होगा।
डॉ. पाठक ने शुक्रवार को भारतीय शिल्प कला संस्थान व उद्यम प्रोत्साहन संस्थान के अधिकारियों के साथ बैठक में शिल्प शिक्षा के संभावित शिल्पों का चयन करते हुए बताया कि पांच दिवसीय शिल्प शिक्षा के लिए पहले चरण में 14 शिल्पों का चयन किया गया है इनमें लाख, मीनाकारी, टाई एण्ड डाई (बंधेज/लहरिया), मिट्टी के बर्तन/टेराकोटा, मिनियेचर पेंटिंग, पेपर मैशे, ब्लाक प्रिटिंग, तारकशी, उस्ता कला, चर्म शिल्प, ब्लू पॉटरी, डेको पेज आर्ट, लैण्डस्केपिंग पेंटिंग और मेंहदी कला आदि को शामिल किया है। उन्होंने बताया कि शिल्प शाला में विशेषज्ञों द्वारा संबंधित शिल्प की बारिकियों को व्यावहारिक रुप से समझाया जाएगा।
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