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राज्य में पाँच क्षेत्रों में औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम की होगी शुरूआत
जयपुर। शासन सचिव, विभाग की मुग्धा सिन्हा ने कहा कि विभाग द्वारा पाँच क्षेत्रों में औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम प्रारम्भ किया जायेगा। जिसमें एग्रीटेक, मेडिटेक, टेक्सटाइलटेक, स्टोन एवं फेब्रिकेशन सम्मिलित होंगे। उन्होंने कहा कि औद्योगिक अकादमिक कार्य हेतु रीको एवं विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संयुक्त रूप से राज्य में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देंगे।
सिन्हा सोमवार को यहां स्टेच्यू सर्किल स्थित बीआईएसआर में नवीन कार्यक्रम एवं योजना के कोर ग्रुप की बैठक को संबोधित कर रही थी। बैठक में राज्य में उद्योगों एवं विभिन्न विश्वविद्यालयाें, अनुसंधान संस्थानों के मध्य परस्पर सहयोग से प्रारम्भ किए जाने वाले नीतिगत मुद्दों एवं कार्यक्रमों पर विस्तृत चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि राज्य में एग्रीटेक को बढ़ावा देने के लिए कृषि विकास केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। मुग्धा सिन्हा ने विप्रो के अधिकारियों को निर्देशित किया कि मार्च, 2020 तक औद्योगिक अकादमिक तैयार करे । उन्होंने कहा कि औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालयों में हुए शोध को आगे लाने के लिए औद्योगिक विशेषज्ञ 6 माह तक विश्वविद्यालयों में जाकर शोध को व्यापक रूप देने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में पाँच क्षेत्रों को तय किया गया है। उन्हीं तकनीक को आगे बढ़ाया जाएगा जो समाज के लिए हितकर है।
आई.आई.टी जोधपुर के निदेशक प्रो. शान्तनु चौधरी ने सुझाव दिया कि औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस नियुक्त किए जाने चाहिए एवं साथ ही उद्योगों में इन्टर्नशिप करके मॉडयूल को भी परिवर्तित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम शुरू होने से उद्योगों को भी नई तकनीक मिलेगी। जो राज्य में औद्योगिक वातावरण तैयार करने में मददगार साबित होगी।
आई.आई.टी. मुबंई के प्रोफेसर बी.रवि ने ऎसे स्टूडेंट प्रोजेक्ट को चिन्हि्त करने के लिए कहा जिनमें की औद्योगिक रूप से उत्पाद विकसित करने की संभावना है। टाईफैक भारत सरकार के वैज्ञानिक डॉ. मुकेश माथुर ने बताया कि टाईफैक राज्य में उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप पायलट स्टडी को प्रोत्साहित एवं समर्थन करने के लिए तैयार है एवं साथ ही विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों में साइटिंफिक-सोशल जिम्मेदारी प्रारम्भ करने की आवश्यकता बताई।
विप्रो भारत सरकार के प्रतिनिधि डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि राज्य को सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम की प्राथमिकताएं चिन्हि्त करने की आवश्यकता है एवं विप्रो हर संभव मदद के लिए तैयार है। पंजाब विश्वविद्यालय के पॉलिसी रिसर्च संघ की वैज्ञानिक डॉ. राधिका शिखा ने राज्य में टेक्नोलॉजी प्रोत्साहन के लिए संस्थागत कार्यक्रम की आवश्यकता बताई ताकि विश्वविद्यालयों एवं उद्योगों के मध्य सहयोग बढ़ाया जा सके।
बैठक में बिटस पिलानी के निदेशक ने औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम को निश्चित समयवधि में सहायता समूहगठित कर पूर्ण करने के लिए सुझाव दिया। बैठक में प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर मनु सीकरवार, अभिषेक किलक, हीरोकार्प के प्रतिनिधि एवं विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
सिन्हा सोमवार को यहां स्टेच्यू सर्किल स्थित बीआईएसआर में नवीन कार्यक्रम एवं योजना के कोर ग्रुप की बैठक को संबोधित कर रही थी। बैठक में राज्य में उद्योगों एवं विभिन्न विश्वविद्यालयाें, अनुसंधान संस्थानों के मध्य परस्पर सहयोग से प्रारम्भ किए जाने वाले नीतिगत मुद्दों एवं कार्यक्रमों पर विस्तृत चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि राज्य में एग्रीटेक को बढ़ावा देने के लिए कृषि विकास केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। मुग्धा सिन्हा ने विप्रो के अधिकारियों को निर्देशित किया कि मार्च, 2020 तक औद्योगिक अकादमिक तैयार करे । उन्होंने कहा कि औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालयों में हुए शोध को आगे लाने के लिए औद्योगिक विशेषज्ञ 6 माह तक विश्वविद्यालयों में जाकर शोध को व्यापक रूप देने में मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में पाँच क्षेत्रों को तय किया गया है। उन्हीं तकनीक को आगे बढ़ाया जाएगा जो समाज के लिए हितकर है।
आई.आई.टी जोधपुर के निदेशक प्रो. शान्तनु चौधरी ने सुझाव दिया कि औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम के तहत विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर ऑफ प्रेक्टिस नियुक्त किए जाने चाहिए एवं साथ ही उद्योगों में इन्टर्नशिप करके मॉडयूल को भी परिवर्तित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम शुरू होने से उद्योगों को भी नई तकनीक मिलेगी। जो राज्य में औद्योगिक वातावरण तैयार करने में मददगार साबित होगी।
आई.आई.टी. मुबंई के प्रोफेसर बी.रवि ने ऎसे स्टूडेंट प्रोजेक्ट को चिन्हि्त करने के लिए कहा जिनमें की औद्योगिक रूप से उत्पाद विकसित करने की संभावना है। टाईफैक भारत सरकार के वैज्ञानिक डॉ. मुकेश माथुर ने बताया कि टाईफैक राज्य में उद्योगों की आवश्यकता के अनुरूप पायलट स्टडी को प्रोत्साहित एवं समर्थन करने के लिए तैयार है एवं साथ ही विश्वविद्यालयों एवं अनुसंधान संस्थानों में साइटिंफिक-सोशल जिम्मेदारी प्रारम्भ करने की आवश्यकता बताई।
विप्रो भारत सरकार के प्रतिनिधि डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि राज्य को सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम की प्राथमिकताएं चिन्हि्त करने की आवश्यकता है एवं विप्रो हर संभव मदद के लिए तैयार है। पंजाब विश्वविद्यालय के पॉलिसी रिसर्च संघ की वैज्ञानिक डॉ. राधिका शिखा ने राज्य में टेक्नोलॉजी प्रोत्साहन के लिए संस्थागत कार्यक्रम की आवश्यकता बताई ताकि विश्वविद्यालयों एवं उद्योगों के मध्य सहयोग बढ़ाया जा सके।
बैठक में बिटस पिलानी के निदेशक ने औद्योगिक अकादमिक कार्यक्रम को निश्चित समयवधि में सहायता समूहगठित कर पूर्ण करने के लिए सुझाव दिया। बैठक में प्रोजेक्ट डॉयरेक्टर मनु सीकरवार, अभिषेक किलक, हीरोकार्प के प्रतिनिधि एवं विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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