Advertisement
इंडो-इजरायल तकनीकी से किसानों को मिलेगा अधिक लाभ
कुरुक्षेत्र। इजरायल के
राजदूत डेनियल कैरमोर्न ने कहा कि भारत और इजरायल के आपसी तालमेल से अच्छे
परिणाम मिल रहे है। देश में सब्जी व फलों की खेती इजरायल तकनीक होने से
सरकार व किसानों को पहले से बेहतर आर्थिक लाभ मिल रहा है। देश में 15 ऐसे
केन्द्र है जो इजरायल और भारत के सहयोग से चल रहे है। उन्होंने हरियाणा
सरकार को भी बधाई दी कि उन्होंने इजरायल की तकनीकी से प्रदेश में सब्जी व
फलों के उत्कृष्टता केन्द्रों को विकसित किया है।
राजदूत डेनियल कैरमोर्न वीरवार को लाडवा में स्थित इंडो इजरायल परियोजना के उष्णकटिबंधीय फल केन्द्र के अवलोकन के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि भारत और इजरायल के सहयोग से चल रहे सब्जी और फलों के उत्पादन केन्द्रों से दोनो देशों में भाईचारा बढ़ा है जिससे किसानों की आय में काफी लाभ हुआ है। इन उत्कृष्टता केन्द्रों में इजरायल की तकनीकी से काम किया जा रहा है। इस तकनीकी से कम पानी की लागत से फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। इजरायल में इसका प्रयोग वर्षो से हो रहा है। भारत ने भी इस तकनीक से किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधार करने की पहल की है। भारत में भी पिछले कई सालों से इजराईल के सहयोग से खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि भविष्य में भी दोनो देशो का यह तालमेल जारी रहेगा। इस तालमेल से अच्छे परिणाम आएंगे। देश का किसान कम लागत में अधिक आय प्राप्त करके समृद्धशाली बनेगा।
इस मौके पर शिष्ट मंडल के सदस्य प्रोफेसर एल.जी ग्रेराव ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि इंडो इजराईल का आपसी समझौता भारत किसानों के लिए काफी लाभदायक है। इससे किसानों को कम लागत पर अधिक उत्पादन मिलेगा।
इस प्रतिनिधि मंडल को लघु फल उत्कृष्टता केन्द्र के निदेशक डाक्टर बिल्लु यादव ने केन्द्र द्वारा की जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह केन्द्र अब करीब 30 एकड जमीन में फैला हुआ है। इस केन्द्र में आम, लीची, चीकू, नाशपत्ति,बेर, खुमानी, अमरूद,नींबू, जैतून और अनार की अलग-अलग फसलों की किस्मों का प्रबंधन किया जा रहा है। इस केन्द्र में किसानों को फलों के प्रति जागरूक करने के लिए वर्ष 2016 में 12 कार्यशालाओं के माध्यम से करीब 150 किसानों को जागरूक किया तथा 35 हजार फलों के पौधो की बिक्री की गई जिससे केन्द्र को करीब 15 लाख रुपए की आय हुई है। किसानों के लिए इस केन्द्र से डिमांड के अनुसार सरकारी मूल्यों पर फलदार पौधे दिये जाते है। इस केन्द्र में करीब 65 हजार फलदार पौधे लगाने की क्षमता है। यहां पर करीब 31 लाख रुपए की लागत से सूक्ष्म सिचांई प्रणाली अपनाई गई है और किसानों को भी इसके बारे में जागरूक किया जा रहा है।
इस अवसर पर लाडवा के विधायक डा.पवन सैनी ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया और लाडवा में इस केन्द्र के बनने पर इजरायल के राजदूत व हरियाणा के मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया।
राजदूत डेनियल कैरमोर्न वीरवार को लाडवा में स्थित इंडो इजरायल परियोजना के उष्णकटिबंधीय फल केन्द्र के अवलोकन के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि भारत और इजरायल के सहयोग से चल रहे सब्जी और फलों के उत्पादन केन्द्रों से दोनो देशों में भाईचारा बढ़ा है जिससे किसानों की आय में काफी लाभ हुआ है। इन उत्कृष्टता केन्द्रों में इजरायल की तकनीकी से काम किया जा रहा है। इस तकनीकी से कम पानी की लागत से फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। इजरायल में इसका प्रयोग वर्षो से हो रहा है। भारत ने भी इस तकनीक से किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधार करने की पहल की है। भारत में भी पिछले कई सालों से इजराईल के सहयोग से खेती की जा रही है। उन्होंने बताया कि भविष्य में भी दोनो देशो का यह तालमेल जारी रहेगा। इस तालमेल से अच्छे परिणाम आएंगे। देश का किसान कम लागत में अधिक आय प्राप्त करके समृद्धशाली बनेगा।
इस मौके पर शिष्ट मंडल के सदस्य प्रोफेसर एल.जी ग्रेराव ने पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि इंडो इजराईल का आपसी समझौता भारत किसानों के लिए काफी लाभदायक है। इससे किसानों को कम लागत पर अधिक उत्पादन मिलेगा।
इस प्रतिनिधि मंडल को लघु फल उत्कृष्टता केन्द्र के निदेशक डाक्टर बिल्लु यादव ने केन्द्र द्वारा की जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह केन्द्र अब करीब 30 एकड जमीन में फैला हुआ है। इस केन्द्र में आम, लीची, चीकू, नाशपत्ति,बेर, खुमानी, अमरूद,नींबू, जैतून और अनार की अलग-अलग फसलों की किस्मों का प्रबंधन किया जा रहा है। इस केन्द्र में किसानों को फलों के प्रति जागरूक करने के लिए वर्ष 2016 में 12 कार्यशालाओं के माध्यम से करीब 150 किसानों को जागरूक किया तथा 35 हजार फलों के पौधो की बिक्री की गई जिससे केन्द्र को करीब 15 लाख रुपए की आय हुई है। किसानों के लिए इस केन्द्र से डिमांड के अनुसार सरकारी मूल्यों पर फलदार पौधे दिये जाते है। इस केन्द्र में करीब 65 हजार फलदार पौधे लगाने की क्षमता है। यहां पर करीब 31 लाख रुपए की लागत से सूक्ष्म सिचांई प्रणाली अपनाई गई है और किसानों को भी इसके बारे में जागरूक किया जा रहा है।
इस अवसर पर लाडवा के विधायक डा.पवन सैनी ने आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया और लाडवा में इस केन्द्र के बनने पर इजरायल के राजदूत व हरियाणा के मुख्यमंत्री का आभार प्रकट किया।
Advertisement
Advertisement
कुरुक्षेत्र
हरियाणा से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement